देहरादून। Kejriwal’s aim is not to serve the public केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की पहल पर लोकसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन)विधेयक 2023 को पारित कर दिया गया। जहाँ शाह वहाँ राह को चरितार्थ करते हुए अमित शाह ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनके तर्क के सामने कोई टिक नहीं सकता।
लोकसभा में बहस की शुरुआत करते हुए अमित शाह ने कहा किए दिल्ली में विधानसभा की शुरुआत 1993 में की गई थी। तब से दिल्ली में कभी भाजपा तो केंद्र में कांग्रेस और दिल्ली में कभी कांग्रेस तो केंद्र में भाजपा की सरकार रही है।
Replying on the National Capital Territory of Delhi (Amendment) Bill, 2023 in the Rajya Sabha. https://t.co/4ttRqrSH2E
— Amit Shah (@AmitShah) August 7, 2023
आज तक इस मुद्दे पर बिना किसी टकराव के दोनों ही पार्टियों ने शासन किया है। लेकिन साल 2015 में जब केजरीवाल की सरकार बनी तो समस्या की शुरुआत हुई। दरअसल आप पार्टी का मकसद जनता की सेवा करना नहीं हैए बल्कि इस बिल का विरोध करके दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार को छिपाना है।
विपक्ष के बाकी पार्टियों का विरोध भी महज गठबंधन को बचाना है।विपक्षी कितना भी गठबंधन कर ले 2024 में मोदी जी का प्रधानमंत्री बनना तय है।लोकसभा में भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह द्वारा दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 को पेश करने के साथ ही विपक्ष की सभी पार्टियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।
हालाँकि इस बिल के पास होने से आप पार्टी के अलावा किसी और पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है लेकिन विपक्ष का विरोध सिर्फ और सिर्फ महागठबंधन को बचाए रखने के लिए था। महागठबंधन की नींव तो वैसे भी कमजोर है और अब बिल के पास होते ही केजरीवाल निश्चित तौर पर महागठबंधन से बाहर निकल जाएंगे।
शाह का स्पष्ट मानना है कि सदन में जिन नेताओं ने उनके ऊपर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफत का आरोप लगायाए उन लोगों ने शायद अदालत का पूरा फैसला पढ़ा ही नहीं।अदालत ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि संसद को अनुच्छेद 239-ए के तहत किसी भी मसले पर दिल्ली को लेकर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है।