डबल मर्डर मामला : भाई ही निकला अपनी बहन व जीजा का हत्यारा

डबल मर्डर मामला : भाई ही निकला अपनी बहन व जीजा का हत्यारा

Brother turns out to be the killer of his sister

देहरादून | Brother turns out to be the killer of his sister थाना क्लेमेंटटाउन अन्तर्गत सी-13 टर्नर रोड स्थित दक मकान में संदिग्ध परिस्थिति में एक दंपति का शव बरामद होने के मामले में दंपति द्वारा आत्महत्या किये जाने के कयास लगाने के बावजूद मामले में अपनी जांच जारी रखने वाली क्लेमेंन्टटाउन पुलिस द्वारा मामले में बड़ा खुलासे करते हुए दंपति की हत्या करने वाले मृतक के ही साले को गिरफ्तार कर लिया है।

गौरतलब है कि बीती 13 जून को थाना क्लेमेन्टाउन को सी-13 टर्नर रोड के स्थानियो द्वारा एक घर से तेज़ दुर्गंध आने की सूचना पर मौके पर पहुँची टीम द्वारा सोहेल निवासी जोशियाडा उत्तरकाशी के मकान से काशिफ(25) पुत्र मोहतशिम निवासी- चहलोली थाना नागल जिला सहारनपुर व उसकी पत्नी अनम(22) का तीन दिन पुराना शव बरामद हुआ था व फर्श खून से सना हुआ था।

मृतक दंपति के बीच पुलिस को उनका एक नवजात शिशु जीवित अवस्था मे मिला था,जिसे पुलिस द्वारा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। प्रथम दृष्टया घटनास्थल को देखने व मृतकों के शव फुले हुए व कीड़े लगे हुए होने पर पुलिस को मृतकों के शरीर पर चोट के कोई निशान नही दिख रहे थे व मामला आत्महत्या से जोड़कर देखा जा रहा था।

घटनास्थल पर पुलिस को जिस कमरे में दंपति का शव था उक्त कमरे पर बाहर से ताला लगा हुआ था। मृतक के परिजनों से पूछताछ करने पर जानकारी मिली थी कि मृतक कि 1 साल पहले ही दूसरी शादी हुई थी तथा पहली पत्नी से उसका एक 5 साल का बच्चा है।

पहली पत्नी नुसरत द्वारा पुलिस को दी जानकारी के अनुसार उसके द्वारा पिछले दो तीन दिन से अपने पति को फ़ोन किया जा रहा था पर उसके बाद उठाया नही गया जो कुछ समय बाद बंद हो गया। और जब वह 13 जून को मौके पर आई तो तो घर के दरवाजे बंद मिले तो उसके द्वारा अपने सास व देवर को इस सम्बन्ध में बताया गया था। जिनके द्वारा परिजनों द्वारा मृतक के दोस्त अशवद को सूचना देकर मौके पर बुलाया, जिसके द्वारा कंट्रोल रूम को घटना के सम्बन्ध में सूचना दी गई।

सफेद रंग की कार घटनास्थल पर आती-जाती देखी गई थी

मृतक की पत्नी ने यह भी बताया था कि मृतक काशिफ से उनकी बात 10 जून को रात्रि लगभग 11:00 – 11:30 बजे हुई थी तब काशिफ द्वारा किसी के 5 लाख रुपये उधार देने 11 जून को गांव आने को कहा था।

प्रथम दृष्ठया मृतक के परिजनों द्वारा दोनों का आत्महत्या करने की आशंका के बावजूद भी पुलिस द्वारा मामले में जांच जारी रखी गयी। थानाध्यक्ष क्लेमेंट टाउन द्वारा एक टीम गठित करते हुए घटनास्थल के आसपास लोगों से जानकारी की जा रही थी तो जानकारी करने पर पता चला कि दिनांक 12/13 जून की रात्रि एक सफेद रंग की कार घटनास्थल पर आती-जाती देखी गई थी, जिस पर घटनास्थल स्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरो से जानकारी मिली की दिनांक 12/13 जून की रात्रि में गाड़ी नंबर यूके07डीजी 4786 घटनास्थल पर आई थी और तुरंत वापस चली गई थी।

मृतकों के परिजनों से उक्त वाहन के बारे में जानकारी की गई तो पता चला उक्त वाहन अशवद का है। जिस पर अशवद से जानकारी की गई तो उसके द्वारा बताया गया कि उसकी कार दिनांक 12 /13 की रात्रि को सहवाज लेकर गया था।

उसके द्वारा शहवाज को लगभग रात्रि 1:30 बजे फोन किया गया था जिसका फोन बंद आ रहा था। वह सुबह 4 बजे वापिस आया तो उसने उससे रात के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह छुटमलपुर पार्टी में गया था, जिस पर मृतकों के परिजनों द्वारा मृतका अनम के भाई शहवाज पर शक जताया गया और एक शिकायती प्रार्थना पत्र दिया गया। जिस पर पुलिस द्वारा जांच करने पर आईपीसी धारा 302 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया और अभियुक्त शहवाज को पुलिस द्वारा पुछताछ हेतु थाने लाया गया।

पुलिस द्वारा सख्ती से पुछताछ करने पर उसके द्वारा अपना जुर्म कबूल करते हुए 10 जून की रात्रि में आशिफ व अपनी बहन अनम की हत्या किया जाना स्वीकार किया गया। अभिय़ुक्त की निशानदेही पर पुलिस द्वारा घटना के समय अभियुक्त द्वारा पहने गये खून लगे कपड़े आशारोड़ी के जंगल से बरामद किये गये।

इसलिए कि हत्या-:

अभियुक्त शहवाज ने बताया गया कि वह दो भाई तथा एक बहन है। सबसे बड़े भाई का नाम शादाब है फिर मेरी बहिन अनम है और फिर मैं हूं। मेरी माता का नाम शहनाज है जो हमें छोड़कर कहीं चली गई थी और किसी दूसरे से शादी कर ली थी तब हम भाई बहिन छोटे थे, फिर मेरे पिताजी द्वारा हमारा पालन-पोषण किया था मेरे पिता भी हाइड्रा चलाते थे, जिनकी मृत्यु 8-10 साल पहले हाइड्रा मशीन के नीचे दबने से हो गई थी लेकिन मुझे पता चला था कि अशजद ने मेरे पिता को जानबूझकर हाईड्रा से टक्कर मारकर मारा था जिसे हादसा बताया था|

अशजद हमारे गांव का रहने वाला है तथा कासिफ के ताऊ का लड़का है लेकिन उस समय हम छोटे थे तो कुछ नहीं कर पाये, हमारी दादी ने हम तीनों भाई बहनों का पालन पोषण किया, कासिफ भी मेरे गांव का ही रहने वाला था जिसकी दोस्ती हम दोनो भाईयों से थी तथा उसका हमारे घर आना जाना था, इसी बीच मेरी अपनी खाला (मौसी) की लड़की आईशा जो कराल्टी थाना फतेहपुर जिला सहारनपुर की रहने वाली है, के साथ दोस्ती हो गई, वह उस समय 8 या 9 वी क्लास में पढती थी फिर हम दोनो में प्यार हो गया और मैं उसे अगस्त 2021 में भगाकर इलाहाबाद ले गया था. वो उस समय नाबालिग थी जिस कारण हमारी शादी नही हो पाई थी।

फिर आईशा के घर वालों ने मेरे तथा मेरे बड़े भाई व कासिफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया था क्य़ोकि कासिफ भी मेरे साथ था उसने भी लडकी भगाने मे मेरी मदद की थी उसके बाद मुझे और मेरे बड़े भाई को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था जहां में आठ महिने जेल मे रहा तथा अभी जमानत पर बाहर आया हुं जब मैं और मेरा बड़ा भाई जेल में थे तो इस दौरान मेरी बहिन घर पर अकेली थी तथा कासिफ का घर पर आना जाना ज्यादा हो गया था ।

मैं जेल से बाहर आया तो मुझे गांव वालो ने कासिफ और मेरी बहन अनम की सारी वातें बताई तो मैने कासिफ को घर में आने से मना कर दिया था क्योकि कासिफ की हरकते कुछ ठीक नहीं थी उसने मेरी बहिन को अपने प्यार में फंसा दिया था और उसकी अश्लील बीडियो भी बना दी थी जिस कारण जैसे वह कहता था वैसी मेरी बहिन करती थी जबकि कासिफ की पहले शादी हो रखी थी कुछ समय बाद कासिफ मेरी बहन को भगा कर ले गया और कोर्ट मे उससे शादी कर ली ।

इस सम्बन्ध में मेरे भाई की तरफ से नागल थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी पर मेरी बहिन से हमारे खिलाफ वीडियो और आडियो बनाकर गांव वालो को भेज दी थी जिसमें मेरी बहिन हमारे खिलाफ बयान दे रही थी कि मुझे अपने भाईयों से जान का खतरा है ।

उसके बाद पुलिस मेरी बहन को नागल लेकर आयी जहां से उसे मेरे मौसा के सुपुर्द किया गया तथा मेरे मौसा ने उसका निकाह कासिफ से करा दिया क्योकिं मेरा मौसा भी हमारे खिलाफ था क्योकिं मै अपने मौसा की लडकी आइशा को भगाकर ले गया था, कासिफ और अनम के निकाह से गांव में हमारी काफी बेज्जती हुई तथा मुझे पता चला कि कासिफ ने ही अनम को हमारे खिलाफ भड़का कर वो वीडियों और ओडियों बनायी थी जिस कारण मैने उसी दिन सोच लिया था कि कासिफ को जिन्दा नही छोडूंगा|

उसके बाद मैने कासिफ से फिर दोस्ती कर ली और उसके घर मेरा आना जाना शुरु कर दिया इसी बीच मुझे गांव मे लोगों द्वारा बताया कि मेरी बहिन अनम के नाम से जो 3 बीघा जमीन थी वह भी कासिफ ने कुछ दिन पहले गिरवी रखवा ली थी और गांव में यह बात फैला दी कि आधे पैसे उसने हमे दिये और आधे खुद रखे, वह बार वार गांव में हमारी बेईज्जती करवा रहा था|

मै कई दिनों से उसे मारने के लिए मौका तलाश रहा था कि दि0 7/06/23 को कासिफ ने मुझे उत्तरकाशी में अपनी हाइड्रा मशीन पलटने तथा उसके साथ उत्तरकशी चलने की बात कहीं जिस पर मैं दिं0 7/6/23 को उसके साथ अपनी मोटरसाइकिल सं0 यूके 17क्यू -3190 R-1-5 से सहारनपुर से देहरादून आया तथा देहरादून से स्विफ्ट डिजायर से हम दोनो दि0 7/6/23 की रात लगभग 10-11 बजे देहरादून से उत्तरकाशी के लिये निकले उत्तरकाशी पहुंचने पर कासिफ को अनम ने फोन कर बताया कि उसे दर्द उठ रहा हैं फिर कासिफ ने मोहल्ले की आशा को फोन कर उसके साथ अनम को अस्पताल भेज दिया|

हम भी उत्तरकाशी से वापस देहरादून आ गये थे उस दिन भी में कासिफ को मारने की फिराक में था लेकिन उस दिन अनम को पता था कि कासिफ मेरे साथ गया है ,उसके बाद मैं वापस अपने गांव चला गया।

गांव के सभी लोग मेरे मामा बनने की तरह तरह की बाते बना रहे थे जिससे मैं और अधिक गुस्से में आ गया था, दिनांक 09/06/23 को कासिफ ने मुझे फोन कर 10 जून को उत्तरकाशी चलने की बात कहीं जिस पर मेंने उसे इस बार मारने की ठान ली।

दिनांक 10/6/23 को समय लगभग 8.30 बजे मैं गणेशपुर मोहंड साईड पर अपने दोस्त के कमरे में चला गया जहां मेने अपना फोन बंद कर दिया था और लगभग 9.30 बजे मे कासिफ के कमरे पर पहुचा । रात्री के समय कासिफ और मैं जमीन पर सो गये तथा अनम ऊपर बेड मे सो गई थी, मेरे दिमाग मे पुरानी सारी बातें चल रही थी तो मै सोय़ा नही था।

रात्री में मैं मौका देख कर किचन मे गया, और वहां से एक चाकू लाकर जमीन पर सोये कासिफ की गर्दन पर उससे वार कर दिया, जिससे वह बेसूध हो गया और उसकी गर्दन से काफी खून बहने लगा।

इसी बीच अनम उठ गयीं और चिल्लाने लगी, जिस पर मेने एक हाथ से उसका मुंह दबा कर दूसरे हाथ से उसका गला दबा दिया, जिससे वह भी मर गयी थी फिर मैने उसको भी नीचे जमीन पर लेटा दिया और दीवार पर जो खून लगा था उसे साफ किया और बच्चे को भी कासिफ के दोनो पांव के बीच मे रख दिया था, मैने सोचा था कि बच्चा खुद मर जायेगा।

उसके बाद मेने अपने कपड़े बदले और कमरे के बाहर ताला लगाकर मैं वहां से वापस अपने दोस्त के कमरे मे आ गया। रास्ते में मैंने आशारोड़ी के जंगलो में खून लगे हुए कपड़े एक पन्नी में बांधकर फेंक दिये, फिर मेने अपने दोस्त शुभम, जो मुझे जेल मे मिला था, को घटना के बारे में बताया तथा दिनांक 12/6/23 को शुभम को लेकर मैं अशवद की गाड़ी से दोबारा टर्नर रोड से होते हुये कासिफ के कमरे पर आये और ताला खोलकर देखा तो काफी बदबू आ रही थी|

बाडी फूल गयी थी, तो फिर हम दोनो तालाबंद कर के वहां से मिर्जापुर वाले रास्ते से बेहट होते हुये सुबह 4 बजे लगभग गणेशपुर साईट पर कमरे मे पहुंच गये जहां अशवद जगा हुआ था, अशवद के पुछने पर मेने उसे छुटमलपुर पार्टी में जाना बताया उसके बाद मै सहारनपुर चला गया था ।

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