सभी राज्य राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता देः शाह

  • सभी राज्य राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता देः शाह
  • सीमावर्ती राज्यों में हो रहे डेमोग्राफिक परिवर्तन पर निगरानी रखने के आदेश
  • केन्द्र सरकार विभिन्न प्रकार के अपराधों का डाटाबेस तैयार कर रही है
  • सम्मेलन में केन्द्रीय एजेंसियों के प्रमुखों व राज्यों के पुलिस महानिदेशकों ने भाग लिया


नई दिल्ली/देहरादून।
देश में काउंटर टेरर एवं काउंटर रेडिकलाइजेशन ओर माओवादी ओवरग्राउंड एवं फ्रंट आर्गेनाईजेशन की चुनौतियों से पार पाने के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिस में माओवादी ओवरग्राउंड व फ्रंट आर्गेनाईजेशन की चुनौतियों सहित क्रिप्टो करेंसी, काउंटर ड्रोन तकनीक, साइबर और सोशल मीडिया पर निगरानी, द्वीपों, बंदरगाहों की सुरक्षा, 5जी टेक्नोलॉजी के चलते उभरती चुनौतियाँ, सीमा क्षेत्रों पर डेमोग्राफिक परिवर्तन एवं बढती कट्टरता ओर नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की गई। इस सम्मेलन में उत्तराखण्ड के डीजीपी अशोक कुमार ने वर्चुअल प्रतिभाग किया। राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन में मौजूदा एवं उभरती सुरक्षा चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। इस अवसर पर गृह मंत्री ने देश के रक्षा ढांचे को मजबूत करने को प्रधानमंत्री की संकल्पनाओं पर आधारित विभिन्न पहलों को उजागर किया।


गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 से डीजीपी सम्मेलन का स्वरूप बदलने का प्रयास किया है और इसका विश्लेषण करने पर हम देखते हैं कि कई समस्याओं का समाधान ढूंढने में हमें सफलता प्राप्त हुई है। सभी राज्यों को चाहिए कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को शीर्ष प्राथमिकता दें, ये देश और युवाओं के भविष्य की लड़ाई है जिसके लिए हमें एक दिशा में एक साथ लड़कर हर हालत में जीतना है। गृह मंत्री ने कहा कि सीमावर्ती राज्यों के डीजीपी सीमा क्षेत्र में हो रहे डेमोग्राफिक परिवर्तन पर सजग निगरानी रखें। राज्यों के पुलिस महानिदेशकों की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने राज्यों में, विशेषकर सीमांत ज़िलों में, सभी तकनीकी और रणनीतिक महत्व की जानकारियां नीचे तक पहुंचाएं।

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेन्द्र मोदी ने न सिर्फ़ देश की आंतरिक सुरक्षा पर थ्रस्ट दिया, बल्कि चुनौतियों का सामना करने के लिए तंत्र को भी मज़बूत किया। आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, उत्तर-पूर्व में विभिन्न उग्रवादी गुटों और वामपंथी उग्रवाद के रूप में जो तीन नासूर थे, उन्हें ख़त्म करने की दिशा में हमने बहुत बड़ी सफलता हासिल की है, इसके लिए मोदी के नेतृत्व में हमने कई नए कानून बनाए, राज्यों के साथ समन्वय बढ़ाया, बजटीय आवंटन बढ़ाया और तकनीक का अधिकतम उपयोग किया। राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली के रूप में देश में पहली बार एक ऐसा सिस्टम डेवलप हुआ है, हमें इसे निचले स्तर तक परकोलेट करना चाहिए। सिर्फ कन्साइनमेन्ट को पकड़ना काफी नहीं है, ड्रग्स के नेटवर्क को समूल उखाड़ना और इसके स्रोत और डेस्टिनेशन की तह तक पहुंचना बेहद ज़रूरी है।

हर राज्य के अच्छे इन्वेस्टिगेटिड केसेस की हमें डिटेल्ड अनालिसिस करनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने टेक्नोलॉजी मिशन की शुरूआत की है लेकिन वो सफल तभी होगा जब हम इसे नीचे तक पहुंचा पाएंगे। केन्द्र सरकार विभिन्न प्रकार के अपराधों का डाटाबेस तैयार कर रही है। देश में पहली बार साइंटिफिक अप्रोच के साथ इतने सारे मोर्चों पर एक साथ इतना काम हुआ है। तकनीक के साथ-साथ हमें ह्यूमन इंटेलीजेंस के उपयोग पर भी बराबर थ्रस्ट देना चाहिए। ये सम्मेलन युवा अधिकारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर गहरी जानकारी देने में मदद करता है। विगत दो दिनों में विचार-विमर्श के लिए चुने गए सत्र प्रासंगिक और महत्‍वपूर्ण थे और इन दो दिनों में हमने निम्न विभिन्न विषयों पर चर्चा की की गई। प्रतिनिधियों ने सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। सम्मेलन में अजय कुमार मिश्रा गृह राज्यमंत्री, निशीथ प्रामाणिक, गृह राज्यमंत्री और विभिन्न केन्द्रीय एजेंसियों के प्रमुखों व राज्यों के पुलिस महानिदेशकों ने भाग लिया।

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