चमोली। पुलिस कप्तान ने बहुउद्देशीय साधन सहकारी समिति लिमिटेड में हुये करोड़ों के गबन का राज बेनकाब करने के लिए जांच कराई और जांच में सरकारी धन के गबन का खेल तार-तार करते हुए पुलिस ने दो लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। गबन में दो को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाली पुलिस टीम की पुलिस कप्तान ने पीठ थपथपाई है।
विकास खण्ड पोखरी, जनपद चमोली के बहुद्देश्यीय साधन सहकारी समिति लिमिटेड के अंतर्गत संचालित ग्रामीण बचत केंद्र मसौली में वर्ष 2०17 से वर्ष 2०23 के मध्य हुई भारी वित्तीय अनियमितता और गबन का खुलासा हुआ है। इस मामले को पुलिस कप्तान सर्वेश पंवार द्वारा अत्यंत गंभीरता से लिया गया था और उनके स्पष्ट दिशा-निर्देश पर एक पुलिस उपाधीक्षक कर्णप्रयाग अमित सैनी की अध्यक्षता में विशेष पुलिस टीम गठित कर जांच प्रारंभ की गई, जिसके परिणामस्वरूप दो जालसाजों को गिरफ्तार किया गया है और विस्तृत जांच अभी भी प्रचलन में है।
तेरह जनवरी को राजन कुमार, सहायक विकास अधिकारी विकास खण्ड पोखरी द्वारा थाना पोखरी में एक लिखित तहरीर दी गई, जिसमें सेवानिवृत्त सचिव मोहनलाल एवं आंकिक अमित सिंह नेगी पर 76,48,559 के गबन और वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया। तहरीर के साथ सतबीर सिंह पंवार एवं कपिल कुमार (अपर जिला सहकारी अधिकारीगण) की अध्यक्षता में सम्पन्न विभागीय जांच रिपोर्ट को भी साक्ष्य के रूप में संलग्न किया गया। इसके आधार पर थाना पोखरी में धारा 406/408 भादवि के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया था।
पुलिस कप्तान सर्वेश पंवार द्वारा इस मामले की गंभीर प्रकृति को देखते हुए विवेचना की नियमित निगरानी की गई एवं स्पष्ट निर्देश दिए गए कि सभी खाताधारकों से निष्पक्षता और संवेदनशीलता के साथ बयान लिए जाएं, एवं दस्तावेजों की बारीकी से जांच हो। पुलिस ने इस मामले में फर्जी निकासी की पुष्टि की, ग्रामीण बचत केंद्र मसौली के कुल 962 खातों में से 162 खातों में फर्जी निकासी, जाली दस्तावेज एवं हस्ताक्षर के माध्यम से धनराशि निकालने के प्रमाण मिले। वहीं बयान दर्ज करने की पारदर्शी प्रक्रिया शुरू की गई।
पुलिस टीम द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर 11० खाताधारकों के बयान विशेष कैंप लगाकर उनके गांवों में दर्ज किए गए, जिससे वे भयमुक्त होकर वास्तविक जानकारी दे सकें। इनमें से अधिकांश ने बताया कि वे न तो किसी निकासी फॉर्म पर हस्ताक्षर किए थे और न ही उन्हें किसी निकासी की जानकारी थी। इस गबन के मामले में दस्तावेजों की कूटरचना की गई थी और कई फॉर्मों पर एक ही व्यक्ति के हस्ताक्षर कई खातों में पाए गए, जिससे यह प्रमाणित होता है कि अभियुक्तों ने कई ग्रामीणों के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी की।
पुलिस कप्तान ने बताया कि 1.15 करोड़ रुपये की गुमराह निकासी की गई और वित्तीय रिकॉर्ड के मिलान में पाया गया कि लेखा सहायक अमित सिंह नेगी द्वारा 1,15,20,000 की निकासी की गई, जबकि कोई भी राशि बैंक में जमा नहीं की गई। वहीं, पूर्व सचिव मोहनलाल द्वारा 12,50,000 की राशि निकाली गई, जो उनकी अधिकृत सीमा से बाहर थी।
उन्होंने बताया कि जमा और देनदारी का भारी अंतर पाया गया और जांच में यह भी सामने आया कि समिति पर 8०० धनात्मक खातों के अंतर्गत 26,07,061, 83 एफडी खातों में 40,96,500 और 20 आरडी खातों में 1,45,943Ó की वैध राशि बकाया है, जिसे समिति द्वारा खाताधारकों को लौटाया जाना है।
वहीं दूसरी ओर, 62,87,306 की राशि अवैध निकासी के रूप में दर्ज हुई है। उन्होंने बताया कि नियत उद्देश्य से विपरीत कार्य किये गये और सहकारी समिति का मूल उद्देश्य किसानों व ग्रामीणों को ऋण सहायता, खाद-बीज की आपूर्ति एवं विकासात्मक सहायता देना था। किंतु सचिव व लेखा सहायक द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर यह संस्था निजी लाभ के लिए फर्जीवाड़े का अड्डा बना दी गई।
पुलिस कप्तान ने दो टूक कहा कि चमोली की सतत निगरानी पूरे विवेचना काल में उन्होंने जांच रिपोर्टों की प्रतिदिन समीक्षा की गई, अभियुक्तों से पूछताछ की रणनीति तय की गई तथा प्रत्येक दस्तावेज के परीक्षण की निगरानी की गई। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि भले ही दोषी किसी भी पद या स्तर का हो, उसके विरुद्ध कार्रवाई में कोई रियायत न दी जाए। पुलिस ने इस धोखाधडी में अमित सिंह नेगी और मोहन लाल को गिरफ्तार किया है तथा सहकारी समिति के अन्य अधिकारियों, सदस्यों और लेखाकारों की भूमिका की भी विवेचना की जा रही है।