सुप्रीम कोर्ट में लंबित वैधता के बीच वक्फ संपत्तियों की अपलोडिंग का प्रशिक्षण शुरू

सुप्रीम कोर्ट में लंबित वैधता के बीच वक्फ संपत्तियों की अपलोडिंग का प्रशिक्षण शुरू

देहरादून। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, फिर भी भारत सरकार ने इस कानून के तहत वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। गौरतलब है कि 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ यह कानून प्रभावी हुआ, जिसे पहले 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था। अब यह 8 अप्रैल 2025 से संपूर्ण भारत में लागू हो चुका है।

भारत सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने वक्फ प्रबंधकों (मुतवल्ली, प्रशासक, अध्यक्ष) को ‘उम्मीद पोर्टल’ के माध्यम से वक्फ संपत्तियों की जानकारी अपलोड करने को प्रशिक्षित करें। वही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मामले के सुप्रीम कोर्ट में होने का हवाला देते हुए अभी उम्मीद पोर्टल पर वक्फ जायदादों का विवरण जमा कराने से बचने को कहा है।

जहाँ एक ओर सरकार वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता के नाम पर डिजिटलीकरण को बढ़ावा दे रही है, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय के कई संगठनों की और से इस प्रक्रिया को लेकर कानूनी और संवैधानिक आपत्तियाँ जताई जा रही हैं।

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सैयद शिराज उस्मान के अनुसार, पहले चरण में 200 से अधिक वक्फ प्रबंधकों को आईसीटी लैब, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ननूरखेडा देहरादून में प्रशिक्षित किया जाएगा। 29 जुलाई को जिला उधमसिंह नगर, 30 जुलाई को देहरादून, 31 जुलाई को हरिद्वार व 2 अगस्त को नैनीताल और अन्य पर्वतीय जनपद के प्रबंधकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। बाद में अन्य शेष प्रबंधकों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।

मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी के माध्यम से पोर्टल एक्सेस करना अनिवार्य किया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान वक्फ प्रबंधकों को सिखाया जाएगा कि कैसे वे अपने मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी के ज़रिए ओटीपी द्वारा प्रमाणीकरण कर उम्मीद पोर्टल पर लॉगिन कर सकते हैं। इसके बाद वे अपने अधीनस्थ वक्फ और संपत्तियों की जानकारी पोर्टल पर दर्ज कर सकेंगे। प्रत्येक वक्फ प्रबंधक को प्रत्येक वक्फ संपत्ति की जानकारी अलग-अलग दर्ज करनी होगी। यह प्रणाली भविष्य में पोर्टल के निरंतर उपयोग के लिए एक बुनियादी ढांचा तैयार करेगी।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने स्पष्ट किया है कि चूंकि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और इसके खिलाफ कई संवैधानिक याचिकाएं दायर हैं, इसलिए उम्मीद पोर्टल पर संपत्तियों का पंजीकरण फिलहाल न किया जाए। बोर्ड का कहना है कि सरकार की ओर से मुतवल्लियों पर पंजीकरण का दबाव डालना अदालत की अवमानना जैसा है और यह कानून संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है।