दिवालिया होने के कगार पर है प्रदेश : रघुनाथ सिंह नेगी

दिवालिया होने के कगार पर है प्रदेश : रघुनाथ सिंह नेगी

देहरादून। उत्तराखंड पर हजारों करोड़ का कर्ज है और इसके लिए राज्यवासियों की गाढ़ी कमाई का पैसा सरकार ब्याज में चुका रही है लेकिन सरकार इसके बावजूद भी माननीयों के वेतन भत्ते में बढ़ोत्तरी करने का जो सिलसिला शुरू किये हुए है उससे राज्यवासी अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे है। एक ओर तो राज्यवासियों के सामने कई संकट खड़े हुए है और उन्हें महंगी बिजली से लेकर जरूरतमंद की वस्तुओं पर महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है जिससे वह अपने परिवार का पालन करने में अपने आपको संकट में पा रहे है।

वहीं सरकार ने अब पूर्व विधायकों की पेंशन भत्ते में जो बढ़ी बढ़ोत्तरी की है वह सरकारी खजाने पर डाका डालने के समान ही दिखाई दे रहा है और अब वह इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगें और इस बढ़े पेंशन भत्तों को लेकर वह उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटायेंगें। यह बात जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा कैबिनेट में पूर्व विधायकों की पेंशन चालीस हजार रूपये से बढाकर साठ हजार रुपए करने का फैसला लिया है, जो कि लोकतंत्र के लिए काला दिवस है तथा सरकारी खजाने पर डाका है। उन्होंने कहा कि मोर्चा शीघ्र ही इस लूट को बंद कराने को लेकर उच्च न्यायालय की शरण लेगा।

इस अवसर पर नेगी ने कहा कि प्रदेश का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि जो प्रदेश कर्ज के सहारे चल रहा हो तथा उसके ऊपर लगभग रूपये नब्बे हजार करोड़ की उधारी हो एवं प्रतिवर्ष लगभग छह हजार छह सौ करोड रुपए ब्याज के चुका रहा हो। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रदेश में एक विधायक को लगभग तीन लाख पच्चीस हजार रुपए वेतन भत्ते एवं साठ हजार रूपये पेंशन प्लस स्लैब, बीस हजार रुपए ईंधन भत्ता दिया जा रहा हो, और इन हालातों में प्रदेश दिवालिया नहीं होगा तो और क्या होगा।

नेगी ने कहा कि इन महा गरीब विधायकों को प्रतिमाह वेतन- भत्तों के नाम पर डेढ़ लाख रुपया निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, रूपये तीस हजार वेतन, रूपये साठ हजार जन सेवा भता, सत्ताईस हजार रूपये ईंधन तथा रूपये छह हजार टेलीफोन, मोबाइल खर्च इत्यादि हेतु दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक होने की दिशा में अब रूपये साठ हजार पेंशन और वह भी स्लैब के साथ दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में यह अनूठा उदाहरण ही होगा कि वेतन तीस हजार रूपये और पेंशन अब रूपये साठ हजार होगी जनता के सेवक हैं न कि सरकारी सेवक है। नेगी ने कहा कि एक और जहां कर्मचारी और अधिकारी दशकों तक सरकारी सेवा करते हैं, लेकिन इनको पेंशन नहीं, दूसरी तरफ यह विधायक शपथ लेते ही ताउम्र पेंशन के हकदार हो जाते हैं।

नेगी ने कहा कि इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि सरकार विकलांग जनों, विधवाओं एवं वृद्ध जनों की पेंशन वृद्धि की बात कभी नहीं करती है। उन्होंने कहा कि लेकिन जब कोई इनसे पेंशन वृद्धि की बात करते है तो यह विधायक और सरकार चुप्पी साध जाते हैं और उन्होंने कहा कि मोर्चा शीघ्र ही इस लूट को बंद कराने को लेकर उच्च न्यायालय की शरण लेगा। इस अवसर पर पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व दिलबाग सिंह उपस्थित रहे।