सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी नहीं चलते तकनीकी विश्वविद्यालय में : मोर्चा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी नहीं चलते तकनीकी विश्वविद्यालय में : मोर्चा

मोर्चा पदाधिकारी।

सीएम तक को झूठी रिपोर्ट भेजी जा रही
पद सृजित कर नियमित नियुक्ति करना भूल गया तकनीकी शिक्षा विभाग
महिला प्रौद्योगिकी संस्थान का भी है प्रकरण

विकासनगर। Supreme Court orders also do not work in technical university जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर 2018 के द्वारा सरकार को निर्देश दिए थे कि तकनीकी शिक्षा विभाग के अंतर्गत तकनीकी विश्वविद्यालय में (महिला प्रौद्योगिकी संस्थान) 3 माह के भीतर पद सृजित करने की कार्यवाही एवं 2 माह के भीतर नियमित निदेशक एवं स्टाफ की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करें|

जिसके क्रम में शासन द्वारा 22 अक्टूबर 2018 को भिन्न-भिन्न प्रौद्योगिकी संस्थानों के लगभग 175 पद सृजित कि, लेकिन आज तक नियमित नियुक्तियां नहीं हो पाई, जिस कारण उच्च शिक्षित बेरोजगार दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है।

इसके साथ-साथ लगभग तीन-चार वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना भी नहीं हो पाई। यहां तक कि बर्खास्त कर्मियों की बहाली के प्रकरण में मुख्यमंत्री के निर्देश के क्रम में शासन ने महिला प्रौद्योगिकी संस्थान से रिपोर्ट मांगी, जिसके क्रम में संस्थान ने 5 अप्रैल 2023 को शासन को रिपोर्ट प्रेषित कर उल्लेख किया कि नियमित नियुक्तियां हो चुकी हैं, जबकि धरातल पर बिल्कुल इसके उलट है।

हाल ही में 5 जुलाई 2023 में तकनीकी विश्वविद्यालय ने फिर नियुक्तियों को लेकर विज्ञप्ति जारी की है, लेकिन इसमें भी वही 11 माह की अल्पकालिक अवधि के आवेदन मांगे गए हैं, जबकि महिला प्रौद्योगिकी संस्थान कह चुका है कि हमने नियमित नियुक्तियां कर दी हैं। मोर्चा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना कराने एवं झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के मामले में प्रकरण को सरकार के समक्ष रखेगा।

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