अभियुक्तो द्वारा जिन बैंक खातों में पैसे लिए गए वह सभी कॉमिशड़ बेस्ड निकले। महाराष्ट्र के नागपुर निवासी गिरोह की दो महिलाओं द्वारा देश के अलग अलग हिस्सो में आयुष्मान कार्ड बनवाने के नाम पर लोगो से बायोमेट्रिक लेकर सिम कार्ड एक्टिवेट करवाकर फिलीपींस में बैठे गिरोह के मास्टरमाइंड को भेजे जाते थे जिसकी एवज में दोनो महिला अभियुक्तो को मोटा पैसा मिलता था।
अभियुक्तों द्वारा उन सिम कार्डो को अन्य व्यक्तियों के चालू खाते खोलकर उसमें इन्टरनेट बैंकिंग एक्टिव करवाकर स्वयं इन्टरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर ठगी का पैसा ट्रांसफर किया जाता था। एक महिला अभियुक्ता के फ़ोन से साइबर टीम ने कई सिमकार्ड की तस्वीर बरामद की है। गिरोह का मास्टरमाइंड एक महिला अभियुक्ता का पुत्र है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह ने बताया कि देहरादून निवासी एक पीड़ित को टेलीग्राम एप्प पर एक ऑनलाईन ट्रेडिंग बिजनेस का विज्ञापन दिखा जिसके लिंक पर क्लिक करने पर वह एक वाट्सअप ग्रुप से जुड गए। उक्त ग्रुप में बाते करने के उपरांत अभियुक्तो द्वारा पीड़ित को एक अन्य लिंक के माध्यम से एक इन्वेस्टमेंट ग्रुप में जोड दिया।
उक्त ग्रुप में जो लोग पहले से जुड़े थे उनके द्वारा ऑनलाइन स्टॉक मार्केट में शेयर खरीदने व बचने के कार्य मे निवेश के बदले उन्हें मिले अच्छे मुनाफे के स्क्रीनशॉट साझा किए गए थे। जिसके चलते पीड़ित भी अभियुक्तो के झांसे में आ गया व अभियुक्तो द्वारा बताए गए अलग अलग बैंक खातों में लगभग 23 लाख की धनराशि जमा कर धोखाधड़ी का शिकार हो गया।
मामले में पीड़ित की शिकायत के उपरांत पर्यवेक्षण अधिकारी अंकुश मिश्रा के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई जिन्होंने मामले का प्रारंभिक विश्लेषण किया और विवेचना निरीक्षक देवेंद्र नबियाल को सौंपा गई। मामले में साइबर टीम द्वारा घटना में इस्तेमाल मोबाइल नंबरो,बैंक खातों, व्हाट्सएप्प ग्रुपों की जानकारी एकत्रित करते हुए जानकारी जुटाई तो ज्ञात हुआ कि अभियुक्तो द्वारा जिन बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया है वह किसी और व्यक्तियों के खाते है जो अभियुक्तो द्वारा कमीशन पर ठगी के लिए प्रयोग किये जाते है।
मामले में और तथ्यों व डिजिटल साक्ष्यों को एकत्रित करने सहित साइबर टीम ने बैंक खातो तथा मोबाइल नम्बरों का सत्यापन कार्यवाही किया गया व इस कार्यवाही दो महिला अभियुक्तो के शामिल होने के सबूत प्राप्त किये। साइबर टीम द्वारा पुष्पा बारापत्रे पुत्री हीरामन बारापात्रे निवासी-गीडोबा मंदिर थाना बाट्ठोडा जिला नागपुर व यदम्मा सुल्तान पत्नी रामलु सुल्तान निवासी-गणेश अपार्टमेंट दिघोरी नाका थाना हुडकेश्वर जिला नागपुर महाराष्ट्र को तलाशना प्रारम्भ किया।
इस दौरान टीम को दोनो अभियुक्तों के भारत से बाहर विदेशी साईबर अपराधियों के लगातार सम्पर्क में होने की जानकारी भी हुई। जिसमें से एक अभियुक्ता यदम्मू सुल्तान का पुत्र राजू सुल्तान फिलिपींस में होने व इस गिरोह का मास्टरमाइंड़ होने के साक्ष्य मिले।
एसएसपी एसटीएफ़ के अनुसार दोनों महिला अभियुक्ता के द्वारा आयुष्मान कार्ड बनवाने के नाम पर लोगों के बायोमेट्रिक लेकर उससे सिम एक्टिवेट करवाकर फिलीपींस में बैठे राजू सुल्तान को कोरियर के माध्यम से भेजे जाते थे, जिसकी एवज में दोनो महिलाओं को मोटे पैसे मिलते थे।उन्होंने बताया कि दोनो महिला अभियुक्तों की तलाश में एक साइबर टीम को नागपुर व उसके आसपास के इलाकों में भेजा गया था।
साइबर टीम द्वारा दोनों महिला अभियुक्ता को धारा41(ए) सीआरपीसी का नोटिस तामिल कराया गया है। तलाशी में महिला अभियुक्त पुष्पा बारापात्रे से घटना में प्रयुक्त 1 मोबाइल फोन बरामद हुआ है । साईबर पुलिस की जांच पडताल में अभियुक्ता पुष्पा बारापात्रे , यदम्मू सुल्तान तथा गिरोह के मास्टरमाइंड फिलीपींस निवासी राजू सुल्तान के मध्य काफी बड़ी संख्या में धनराशि का लेनदेन भी सामने आया है।
अभियुक्ता का मोबाइल जांचने पर टीम को मोबाइल फोन में कई बैंक खातों, काफी मात्रा में सिम कार्ड की फ़ोटो व दस्तावेज आदि बरामद हुये है तथा अभियुक्तों के वाट्सअप के माध्यम से अन्य साईबर अपराधियो से सम्पर्क में होने के साक्ष्य प्राप्त हुये है। दोनों महिला अभियुक्ता के बैंक खातों के बैंक स्टेटमेन्ट में लाखों रुपये के लेनदेन मिला है।
जाँच में यह भी प्रकाश में आया है कि इन महिला अभियुक्ता के द्वारा एक्टिवेट किये गए मोबाइल नम्बरों के विरुद्ध देश के कई राज्यों में साईबर अपराधों की शिकायतें दर्ज है। अभियुक्त पुष्पा बारापात्रे ने पूछताछ में उसके द्वारा अभी तक 4 से 5 हज़ार सिम कार्ड एक्टिव करवाकर फिलीपींस भेजे जाने की जानकारी दी है।
कैसे लेते थे झांसे में
अभियुक्तो द्वारा पीड़ित के झांसे में आने को इन्वेस्ट की गयी धनराशि में मुनाफा दिखाने हेतु यह एक फर्जी लिंक का प्रयोग किया जाता था,जिसमें इनके नाम के बनाये गये फर्जी खातो/डेसबोर्ड में इन्वेस्ट की गयी धनराशि मुनाफा सहित पीड़ित को दिखायी देती थी। जिससे पीड़ित को अधिक मुनाफा होने का भरोसा हो जाता था। विड्राल के नाम पर यह साईबर अपराधि पीड़ित के खाते में कभी कभी कुछ छोटी धनराशि भी भेज देते थे । जिससे पीड़ित को अपने साथ हो रही साईबर धोखाधड़ी का अंदेशा नही हो पाता था।