अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक के खिलाफ कोर्ट जा सकेते है मुस्लिम संगठन
देहरादून। उत्तराखंड में यूसीसी के बाद अब अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 लागू होने जा रहा है, जिसको लेकर सरकार इस विधेयक को अल्पसंखयकों के हित में कल्याणकारी बता रही हैं। वहीं, मुस्लिम समुदाय इस अधिनियम को उत्तराखण्ड में धार्मिक स्वतंत्रता और अस्तित्व पर संकट के तौर पर देख रही है। जमीअत उलेमा-ए-हिन्द और मुस्लिमों से जुड़ी संस्थाएं इस विधेयक के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कह रही हैं, जबकि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी इस अधिनियम को मुस्लिम समुदाय के विकास का बड़ा कदम बता रहे हैं, इसके अलावा कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिये हैं।
मुसलमानों के दमन के लिए इस तरह के कानून ला रही सरकारः नजमा
उत्तराखंड महिला कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष नजमा खान का कहना है कि सरकार की ओर से लिए गए फैसले धार्मिक शिक्षा देने वाले संस्थानों के खिलाफ है। सरकार संवेधानिक अधिकारों से वंचित करने की साजिश रच रही है। इस संबंध में वकीलों,मुस्लिम समाज के बु़िद्धजिवियों से मुलाकात की जाएगी। जरूरत पड़ने पर दारुल उलूम देवबंद से भी इस विषय में चर्चा की जाएगी।

नजमा खान का कहना है कि सरकार लगातार मुसलमानों के दमन के लिए इस तरह के कानून ला रही है। नजमा खान का कहना है कि अगर ऐसा होता रहा तो उनके पूरे धार्मिक अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह देश सर्वधर्म संभव के सिद्धांत पर चलता है और यहां पर केवल एक धर्म के दमन को लेकर लाये जा रहे कानून की वह कड़ी निंदा करती हैं।
कहा कि मदरसों में मुस्लिम धर्म की शिक्षा को हम जारी रखेंगे, चाहे इसके लिए हमें किसी भी हद तक जाना पड़े। अगर सड़क पर भी उतरना पड़ता है तो हम उतरने के लिए तैयार हैं, मगर इस तरह से मुस्लिम धर्म के अधिकारों को कुचला जाएगा तो उसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
कानूनी राह पर चलेगी जमीअत
जमीअत उलेमा-ए-हिन्द उत्तराखण्ड के प्रदेश महासचिव मौलाना शराफत अली कासमी ने कहा कि मदरसों की स्थापना संविधान में दिये गये अधिकारों के तहत की गई है। धार्मिक शिक्षा के लिये संस्थाए स्थापित करना, प्रबंधन करना और धार्मिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना संवेधानिक अधिकार है, अगर नये अधिनियम में अधिकारों का हनन होगा तो कानूनी राह पर चला जाएगा।
उन्होने यह भी कहा कि मदरसों में अगर धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी तो उनकी आने वाली पीढ़ी अपने संस्कारों और अपने रीति-रिवाजों के साथ अपने धर्म के प्रति कैसे जागरूक होगी।
अब छात्रों को एक अधिकृत डिग्री मिलेगीः शमून
मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि अब मदरसा बोर्ड भी शिक्षा बोर्ड के तहत अधिकृत होगा। यहां से पढ़ने वाले छात्रों को एक अधिकृत डिग्री मिल पाएगी। साथ ही सभी मदरसे अब एक कानूनी बॉडी के तहत आएंगे, जिसकी वजह से इनको मान्यता मिलेगी।

साथ ही कानून के दायरे में आने से छात्रों का विकास और उनको शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं एवं शिक्षा भी मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार के अल्पसंख्यक शिक्षा कानून के आने से किसी भी तरह से मदरसों में धार्मिक शिक्षा पर असर नहीं पड़ेगा।
राज्यपाल गुरमीत सिंह की स्वीकृति के साथ ही अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 के कानून बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस कानून के तहत अल्पसंख्यक समुदायों की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता प्रदान करने का काम करेगा। साथ ही इस विधेयक के लागू होने के बाद मदरसा जैसे अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड से मान्यता लेनी होगी, निश्चित तौर पर यह कानून राज्य में शिक्षा व्यवस्था को ज्यादा पारदर्शी, जवाबदेह और गुणवत्तापूर्ण बनाने में सहायक सिद्ध होगा…
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री