- मुख्यमंत्री ने किया 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के कर्टेन रेजर एवं प्रोग्राम गाइड का विमोचन
- 10वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस को आयुर्वेद के क्षेत्र में राज्य को नई पहचान दिलाने वाला बताया प्रयास
- उत्तराखण्ड प्राचीन काल से रही है आयुर्वेद व प्रज्ञा की भूमि
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड को योग एवं आयुष की भूमि बताते हुए देहरादून में आयोजित होने वाली 10वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस को आयुर्वेद के क्षेत्र में राज्य को नई पहचान दिलाने वाला प्रयास बताया है। उन्होंने कहा कि इस माह 12 से 15 दिसम्बर तक आयोजित होने वाले इस वैश्विक आयोजन में होने वाले चिंतन, मंथन एवं विचार विमर्श से निकलने वाला अमृत आयुर्वेद के क्षेत्र में भारत को ही नहीं विश्व को जगाने का कार्य करेगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में आयुर्वेद एवं आयुष का प्रभाव लोगों ने देखा है। सोमवार को मीडिया सेन्टर सचिवालय में 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के कर्टेन रेजर एवं प्रोग्राम गाइड का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह आयोजन सर्वे सन्तु निरामयः का संदेश भी घर घर तक पहुंचाने में मददगार होगा।
मीडिया सेंटर सचिवालय में 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के कर्टेन रेजर और कार्यक्रम गाइड का विमोचन किया। 12 से 15 दिसंबर तक आयोजित होने वाले इस वैश्विक आयोजन से चिंतन और मंथन के माध्यम से जो निष्कर्ष सामने आएंगे, वे आयुर्वेद के क्षेत्र में एक नई दिशा देने के साथ ही “सर्वे सन्तु… pic.twitter.com/mju3yl3Bkb
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) December 9, 2024
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड प्राचीन काल से आयुर्वेद व प्रज्ञा की भूमि रही है। हमारे ऋषि मुनियों एवं मनीषियों ने इस दिशा में व्यापक शोध कर हमें यह विधा प्रदान की है। हमारे राज्य की जलवायु औषधीय पादपों के सर्वथा अनुकूल है। आयुर्वेद का विषय राज्य के साथ हिमालय व वनों का भी है। हमारा राज्य हर क्षेत्र में अग्रणी बनें आगे बढ़े इस दिशा में हम प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा था कि उत्तराखण्ड में विकास का यज्ञ चल रहा है। प्रधानमंत्री का मार्गदर्शन राज्य के विकास के प्रति हमें सतत प्रयत्नशील रहने की प्रेरणा देता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्य हित में अनेक निर्णय लिये है। राज्य में कठोर नकल विरोधी कानून बनाया गया है, समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में प्रयास जारी है।
राज्य के समग्र विकास में हमारे प्रयासों को नीति आयोग द्वारा भी सराहा गया है। इसी का परिणाम है कि सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में राज्य को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक संपदा, औषधीय पौधों और शांत हिमालयीय वातावरण के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
इस वैश्विक आयुर्वेद कांग्रेस में 58 देशों से 300 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं। जबकि देश भर के 6500 प्रतिनिधियों और 2 लाख आगंतुकों के साथ यह आयोजन ज्ञान और सहयोग का अद्वितीय मंच बनेगा। उत्तराखण्ड का पवेलियन-प्रदेश के 8 विभागों आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, स्वास्थ्य, कौशल विकास, पर्यटन, उद्योग, उद्यान, ग्राम्य विकास के स्टॉल समेकित रूप से उत्तराखण्ड को आयुर्वेद और वेलनेस पर्यटन के प्रमुख केन्द्र के रूप में बढ़ावा देने में सहायक होंगे।
यह आयुर्वेद के फायदों और आधुनिक तकनीक के साथ इसके एकीकरण के प्रति जागरूकता फैलायेगा तथा आयुर्वेद के क्षेत्र में ज्ञान साझा करने, शोध सहयोग और व्यापार के अवसरों को बढ़ावा देगा। उत्तराखण्ड और भारत में आयुष क्षेत्र के विकास और प्रगति में योगदान देने में भी यह आयोजन मददगार रहेगा। इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूडी, सचिव रविनाथ रमन ने भी अपने विचार रखे। 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के ट्रस्टी रजनीश पौराणिक द्वारा कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम का संचालन निदेशक आयुष विजय जोगदंडे ने किया।