मदरसे समावेशी शिक्षा पद्धति के साथ आगे बढ़ रहे थे : हरीश

मदरसे समावेशी शिक्षा पद्धति के साथ आगे बढ़ रहे थे : हरीश



देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि मदारसा-बोर्ड की और से मदरसों का संचालन शिक्षा की समावेशिता की दिशा में एक सार्थक पहल थी। मदरसों में दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम अर्थात जो आधुनिक शिक्षा की व्यावहारिक पहलों में उनकी शिक्षा भी दी जाने लगी थी।

मदरसे समावेशी शिक्षा पद्धति के साथ आगे बढ़ने लग गये थे और इसलिये अलग-अलग धर्मों के लोग भी अब मदरसों में पढ़ाई करने लग गए थे और इससे राज्य की शिक्षा पर खर्चा भी कम हो रहा था बल्कि यह स्थिति लगभग उसी प्रकार की थी जैसे आज से लगभग 25-30 साल पहले जो गांव-गांव में लोग प्राइवेट स्कूल खोलते थे फिर उनको अर्ध मान्यता मिलती थी, फिर पूर्ण मान्यता मिलती थी, फिर वह ग्रांटेड में लाये जाते थे, तो जनता का पैसा बहुत कुछ हद तक हमारी शिक्षा पद्धति को खड़ा करने में सहायक होता था।

इसी प्रकार से मदरसों की शिक्षा में भी लोगों का पैसा लग रहा था और मदरसा बोर्ड आधुनिक शिक्षा के प्रोत्साहन के लिए जो मदद करता था मदरसों की उससे शिक्षा में समावेशिता आ रही थी। मैं चिंतित हूं, यह सरकार के मदरसा जिहाद का परिणाम क्या रहेगा? कितना यह कट्टरता को और बढ़ाने का काम करेगा? मैं उसको लेकर भी चिंतित हूं। कट्टरता किसी भी समाज, धर्म व देश के लिए घातक होती है।