कथित गौमांस रखने के आरोप में मुस्लिम युवक की ‘मौत’ से विवाद

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिला।

एस.एम.ए.काजमी

देहरादून| 25 अगस्त को गौमांस रखने के आरोप में पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए जाने और मिलीभगत के आरोप में 22 वर्षीय मुस्लिम युवक वसीम की मौत एक बड़े विवाद का रूप ले चुकी है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कई वर्षों में पहली बार खुलकर मुस्लिम से जुड़े मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता यशपाल आर्य, सहारनपुर लोकसभा सांसद इमरान मसूद, उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा, उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, विधायक प्रीतम सिंह, फुरकान अहमद, काजी निजामुद्दीन सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने रुड़की के निकट झबरेड़ा क्षेत्र के माधोपुर गांव में मृतक के घर जाकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

इससे पहले बुधवार शाम को उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर उन्हें घटना की जानकारी दी और मुस्लिम युवक की मौत के कारणों की निष्पक्ष जांच की मांग की। कांग्रेस नेताओं के अनुसार मुख्यमंत्री ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और विधायक काजी निजामुद्दीन भी बुधवार को डीजीपी अभिनव कुमार से मिलने गए थे, जो उपलब्ध नहीं थे। कांग्रेस नेताओं ने यहां पुलिस मुख्यालय में एडीजीपी और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की और युवक की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग की। दिलचस्प बात यह है कि उत्तराखंड में बढ़ते ‘इस्लामोफोबिया’ के बीच पहली बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अल्पसंख्यक समुदाय के समर्थन में खुलकर सामने आए हैं।

कांग्रेस पिछले कई सालों से राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा, आरएसएस और दक्षिणपंथी समूहों द्वारा ‘लव जिहाद’, ‘भूमि जिहाद’ और अन्य तरह के आरोपों सहित मुसलमानों से जुड़े मुद्दों पर पूरी तरह से चुप्पी बनाए रखना पसंद करती रही है। हरिद्वार पुलिस के अनुसार, पुलिस टीम से भागकर जिम चलाने वाला एक मुस्लिम युवक गांव के तालाब में कूद गया और डूबने से उसकी मौत हो गई। पुलिस को शक था कि वह गाय का मांस लेकर जा रहा था।

कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने मृतक के परिवार से मुलाकात की।

पुलिस उपनिरीक्षक शरद सिंह द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट में कहा गया है कि वसीम को पुलिस की गौरक्षक इकाई ने स्कूटर पर पीछा किया था और बाद में वह बचने के लिए गांव के तालाब में कूद गया, लेकिन डूब गया और उसकी मौत हो गई। बाद में पुलिस टीम को 100 से 150 ग्रामीणों की भीड़ ने घेर लिया, जिन्होंने पुलिस टीम पर वसीम को गोली मारने और पीटने तथा उसे डुबोने का आरोप लगाया। पुलिस ने ग्रामीणों पर मारपीट और गाली-गलौज कर उनके काम में बाधा डालने तथा बंधक बनाने का आरोप लगाया।

हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) परमिंदर डोभाल ने दावा किया कि पोस्टमार्टम में डूबने से मौत की पुष्टि हुई है और उसके शरीर पर कोई चोट नहीं पाई गई है। हालांकि, ग्रामीणों और मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि मृतक को बेरहमी से पीटा गया था और उसके दांत तोड़ दिए गए थे।

मंगलौर से कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि डूबने से बचाने की कोशिश करने वाले ग्रामीणों को पुलिसकर्मियों और सादे कपड़ों में मौजूद कुछ अन्य लोगों ने चेतावनी दी थी। इन लोगों ने डूबते युवक को बचाने की कोशिश करने पर ग्रामीणों को आग्नेयास्त्रों से धमकाया।

काजी निजामुद्दीन ने आरोप लगाया कि पुलिस के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि मृतक बुरी तरह घायल था और उसके दोनों पैर रस्सी से बंधे हुए थे। उन्होंने कहा कि इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि गोहत्या के आरोप में युवक को पुलिस और कथित गोरक्षकों ने बेरहमी से पीटा और उसे डूबो दिया। उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करण माहरा ने कहा, “केवल निष्पक्ष मजिस्ट्रेट जांच से ही युवक की मौत का सच सामने आएगा।”

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