देहरादून। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूडी ने स्वागत संबोधन में कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित कर रही हैं। प्रदेश की विधानसभा के लिए भी यह गर्व का क्षण है। उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति के अजात शत्रु स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के निर्णय से नवंबर 2000 में अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखंड विधानसभा की पहली बैठक 12 जनवरी 2001 के दिन आयोजित की गई। तब से अब तक भारतीय लोकतंत्र के उच्च सिद्धांतों और परम्पराओं पर चलते हुए, उत्तराखंड विधानसभा ने कई महत्वपूर्ण आयाम स्थापित किए हैं।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों का बलिदान हमें, उत्तराखंड के सर्वांगीण विकास के लिए चेष्टावान बनाए रखेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण में मातृशक्ति ने अहम भूमिका निभाई है। उत्तराखंड की महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण, खेती-बाड़ी, समाज सुधार से लेकर राज्य निर्माण आंदोलन में तक सक्रिय भूमिका निभाई है।
राष्ट्रपति के संबोधन से उत्तराखंड की मातृशक्ति गौरवांवित हुई है। उन्होंने कहा कि 25 वर्षों के कालखंड में उत्तराखंड विधानसभा ने महिला आरक्षण विधेयक सहित पांच सौ से अधिक विधेयक पारित किए हैं। वर्ष 2001 में अनंतिम विधानसभा से लेकर वर्तमान विधानसभा के सदस्यों ने तक महत्वपूर्ण अवसरों पर दलगत राजनीति से उठकर, प्रदेश के सामने उपस्थित चुनौतियों का सफलता पूर्वक सम्मान करते हुए, अपने ज्ञान, विवेक और परिश्रम से आम जनता की आशा, आकांक्षाओं को मूर्त रूप दिया है। इससे प्रदेश में संसदीय लोकतंत्र की नींव भी मजबूत हुई है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि जनभावना के अनुरूप प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में समुचित विकास सुनिश्चित करने के लिए भराडीसैंण-गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया है, अब वहां भी एक विधानसभा भवन संचालित किया जा रहा है। उत्तराखंड विधानसभा ने ग्रीन इनिसिटेव के तहत अब पेपरलेस विधायिका की ओर कदम बढ़ दिए हैं। देहरादून के साथ ही भराडीसैंण विधानसभा परिसर में भी नेशनल ई विधान एप्लकेशन लागू किया गया है। विधानसभा में ई लायब्रेरी भी स्थापित की गई है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के विकास में शोध के महत्व पर जोर देते हैं, इसके लिए भराडीसैंण विधानसभा के अंतर्गत, पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रवण मुखर्जी द्वारा स्वीकृत इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पार्लियामेंट्री स्टडीज, रिसर्च एंड ट्रेनिंग शुरु किया गया है। जिसे विधायी और संसदीय कार्य के साथ ही पॉलिसी प्लानिंग में उच्चकोटी के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के संबोधन से सबमें नई उर्जा का संचार होगा, जिससे उत्तराखंडवासी वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल की दिशा में संकल्पित होकर कार्य कर सकेंगे।
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