दो दिवसीय कुरआन प्रदर्शनी का बोस्निया के राजदूत ने किया शुभारंभ

‘पवित्र कुरआन लेख कला के दर्पण में’ पर आधारित प्रदर्शनी का शनिवार को बोस्निया और हर्जेगोविना के राजदूत मोहम्मद चेनगिक ने मुख्य अतिथि व भाजपा विधायक विनोद चमोली, खजानदास व मेयर सुनील उनियाल गामा ने संयुक्त रूप से शुभारंभ किया।
  • कुरआन की रोशनी से नुरानी हुई तस्मिया अकादमी
  • शांति-भाईचारा पवित्र कुरआन का संदेशः डॉ. फारूक
  • दो दिवसीय अनूठी प्रदर्शनी का बोस्निया के राजदूत ने किया शुभारंभ


देहरादून।
उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून स्थित तस्मिया कुरआन पुस्तकालय की ओर से 2-ए टर्नर रोड देहरादून में पिछले 18 वर्षों से ‘पवित्र कुरआन लेख कला के दर्पण में’ पर एक अनूठी प्रदर्शनी जो एक वार्षिक विशेषता बन गई है, का शनिवार को बोस्निया और हर्जेगोविना के राजदूत मोहम्मद चेनगिक ने मुख्य अतिथि व भाजपा विधायक विनोद चमोली, खजानदास व मेयर सुनील उनियाल गामा ने संयुक्त रूप से शुभारंभ किया।


कार्यक्रम की शुरुआत फर्रूख अहमद की सुरीली आवाज में हम्द व पवित्र कुरआन के पाठ के साथ हुई, जिसका अर्थ है कि सर्वशक्तिमान सभी के लिए एक है। बोस्निया और हर्जेगोविना के राजदूत मोहम्मद चेनगिक ने कहा कि कुरआन प्रदर्शनी में आकर बहुत खुशी हुई, वास्तव में कुरआन सभी के लिये सत्य का मार्ग प्रशस्त करता है।

डॉ. एस. फारूक ने कहा कि पवित्र कुरआन अन्य धर्मों के आगंतुकों के साथ-साथ इस्लाम के अनुयायियों के लिए भी अपार जानकारी के द्वार खोलती है। इसके अलावा यह उन लोगों के लिए एक खुशी की बात है जो सुलेख की प्राचीन कला को समझते हैं और उसकी सराहना करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके दिमाग में यह विचार तब आया जब उनके पिता की मृत्यु के बाद जो धरोहर मिली थी, उन्हे सजो कर रखना शुरू किया ओर उनकी जीवनी लिखी। इस तरह परिवार और दोस्तों की मदद से सामग्री बढ़ती गई। इस मौके पर आरके बख्शी, डॉ. सुनील सैनी, केएस चावला, जेएस मदन, एएस भाटिया, त्रिलोचन सिंह, आयुष आर्य, सैयद हारून अहमद, सैयद फर्रुख अहमद, इमरान हुसैन, सैयद मुनीर अहमद, मुफ्ती वसीउल्लाह, मुफ्ती सलीम अहमद, मौलाना आर. हक़्कानी, सैयद हारून अहमद, मुफ्ती जियाउल हक, हेम ज्योती के प्रधानाचार्य, छात्राएं व अन्य लोग उपस्थित रहे।

इन नायाब-अनोखे नुस्खों के कर सकते है दिदार
देहरादून। कुरआन प्रदर्शनी में एक से एक नायाब नुस्खे ओर नायाब कला कृतिया देखने को मिल रही है, दो दिन तक चलने वाली प्रदर्शनी में पैगंबर मोहम्मद (पीबीयूएच) के तीसरे खलीफा हजरत उस्मान गनी (रए) की ओर से संकलित पहले कुरआन की हाथ से लिखी आयतें, जो 1087 पृष्ठ और 80 किलोग्राम वजनी है, प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण रही। 1907 में लुधियाना भारत में छपी सात रंगीन पवित्र कुरआन प्रदर्शनी में एक प्रमुख स्थान रखती है। प्रदर्शनी में दुनिया का सबसे बड़ा पवित्र कुरआन जो एक हजार चार सौ सतासी फीट लंबा ओर दो फीट चौड़ा है, वहीं, 12 गुणा 24 फीट वाला कुरआन भी मौजूद है।


कुरआन के अलग-अलग अनुवाद ओर कुल 64 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में गुरुमुखी, गढ़वाली, कुमाउनी, संस्कृत आदि सहित भारतीय भाषाओं के अलावा रूसी, तुर्की, चीनी, जर्मन और कई अन्य भाषाओं में अनुवादित पवित्र कुरआन देखे जा सकते है। अनुवादों के साथ ब्रेल लिपि में लिखी एक प्रति भी प्रदर्शित की गई है। इसके अलावा 1.75 ग्राम से लेकर 2500 किलोग्राम वजन वाले कुरआन की प्रतियां भी हैं, बोलने वाले कलम के साथ पवित्र कुरआन, सुगंध के साथ पवित्र कुरआन, चॉकलेट-ग्लास-पत्थरों पर पवित्र कुरआन की आयते आदि भी प्रदर्शनी में अपनी ओर आर्कषित कर रहीं है।

कुरआन हमें सही रास्ता दिखाता हैः खजानदास
देहरादून।
प्रदर्शनी में पहुंचे भाजपा विधायक खजान दास ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने पहली बार इतनी अनूठी प्रदर्शनी देखी है और कुरआन का इतना बड़ा संग्रह कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा कि कुरआन हमें सही रास्ता दिखाता है और सभी को शांति और भाईचारे का संदेश देता है।

कुरआन प्रदर्शनी की सुंदरता-आभा से हो गया हूं अभिभूतः चमोली
देहरादून।
विधायक विनोद चमोली ने कहा कि कुरआन स्क्रिप्ट का उन पर दैवीय प्रभाव पड़ा है और वह संग्रह की सुंदरता और आभा से अभिभूत हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि संभव हो तो प्रदर्शनी छात्रों के लिए महीने में कम से कम एक बार खुली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम बन गई है और भारत और दुनिया में एकता का संदेश फैलाएगी। कहा जाता है कि कुरआन देखने से सवाब हासिल होता है, मुझे भी आज कुरआन के नायाब नुस्खे देखने को मिले हैं।

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