उत्तराखंडः कौन होगा कांग्रेस नया खेवनहार
क्या गणेश गोदियाल को रिपीट करेगी कांग्रेस
हरक, यशपाल, कापड़ी, सजवाण या बिष्ट पर भी दाव खेल सकती है पार्टी
देहरादून। उत्तराखण्ड सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पांचों राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का इस्तीफा मांगा ले लीया है। उत्तराखंड के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी अपना इस्तीफे पार्टी सुप्रीमों को सौंप दिया है। उत्तराखण्ड में कांग्रेस के 19 सीटों पर सिमटने के बाद अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सहित नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी बदलाव के संकेत है। कांग्रेस इस बार किसी युवा चेहरे पर दांव खेल सकती है।
प्रदेश कांग्रेस में गणेश गोदियाल के इस्तीफे के बाद उत्तराखंड कांग्रेस की कमान किसे सौंपी जाएगी, इसे लेकर पार्टी के भीतर और बाहर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस में शीघ्र ही संगठनात्मक स्तर पर चुनाव होने हैं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जैसे महत्वपूूर्ण पद को पार्टी अधिक दिनों तक खाली नहीं रखना चाहेगी। लेकिन, पार्टी के सामने एक चेहरे पर सहमति बनाना भी वर्तमान हालात में आसान नहीं दिख रहा है। कांग्रेस में अध्यक्ष पद से लेकर नेता प्रतिपक्ष पद तक के लिए लॉबिंग शुरू हो गई है।
अब तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान पांच अध्यक्षों ने संभाली है। छठा अध्यक्ष कौन होगा, सियासी फिजाओं में कई नाम तैर रहे हैं। इसमें एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि पार्टी हाईकमान गोदियाल को ही रिपीट कर सकती है। वहीं, दूसरी संभावना यह है कि अभी नेता प्रतिपक्ष का दायित्व गढ़वाल से प्रीतम सिंह के पास है। यदि पार्टी उन्हें आगे भी इस पद पर बनाए रखती है तो अध्यक्ष पद कुमाऊं के हिस्से में जा सकता है। ऐसे में कुमाऊं की खटीमा सीट से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बड़े अंतर से हराकर विधायक चुने गए भुवन कापड़ी पर पार्टी दांव खेल सकती है। भुवन यूथ कांग्रेस के निर्वाचित अध्यक्ष रह चुके हैं और पार्टी का युवा चेहरा हैं। तीसरी बार विधायक बने मनोज तिवारी का नाम भी चर्चाओं में है।
मनोज वर्ष 2007, 2012 और अब 2022 में अल्मोड़ा सीट से विधायक चुने गए हैं। करीब 12 साल एआईसीसी में सचिव पद पर रहे प्रकाश जोशी, मथुरादत्त जोशी व राजेंद्र भंडारी का नाम भी चर्चाओं में है। राज्य में लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल करने के बाद भाजपा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किसे बैठाती है। बहुत हद तक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा उस पर भी निर्भर करेगा। यदि पार्टी किसी दिग्गज नेता पर दांव खेलती है तो कांग्रेस में पूर्व सीएम रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री और पूर्व अध्यक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, बदरीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी, पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण, हीरा सिंह बिष्ट या नव प्रभात में से किसी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप सकती है।
गढ़वाल-कुमाऊं व जातीय समीकरण साधने की चुनौती
उत्तराखण्ड में सियासी दल सरकार व संगठन बनाते समय गढ़वाल-कुमाऊं व जातीय समीकरण साधने की पूरी कोशिश करते है। कांग्रेस की सरकार और संगठन पर नजर डालें तो अब तक मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के चयन में
गढ़वाल-कुमाऊं के साथ जातीय समीकरणों को साधकर पार्टी आगे बढ़ी है। वर्ष 2000-2007 के मध्य हरीश रावत प्रदेश अध्यक्ष रहे ओर पंडित नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2014 तक प्रदेश अध्यक्ष की कमान यशपाल आर्य के हाथों में रही। उस वक्त हरक सिंह रावत सीएलपी नेता बने। वर्ष 2014-17 के मध्य किशोर उपाध्याय प्रदेश अध्यक्ष बने तो मुख्यमंत्री के तौर पर हरीश रावत के हाथों में सत्ता की कमान रही। वर्ष 2017 में प्रीतम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो इंदिरा हृदयेश को नेता प्रतिपक्ष की कमान सौंपी गई। वर्ष 2021 में गणेश गोदियाल को कमान सौंपी गई, तो प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के चुनाव को लेकर धड़ों में तलवारें खिंच गईं थी। पूरे चुनाव में पार्टी नेताओं ने एकता दिखाने की कोशिश की, लेकिन भीतर गुटबाजी की खिचड़ी पकती रही। नतीजा हार के रूप में सामने आया। अब जब पार्टी में संगठनात्मक स्तर पर इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है और कुछ समय में संगठनात्मक चुनाव भी होने हैं। ऐसे में संभव है कि चुनाव से पहले ही नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी कर ली जाए। पार्टी के सामने निकाय चुनाव और वर्ष 2024 के आम लोकसभा चुनाव की चुनौतियां भी सामने खड़ी हैं। ऐसे में कुनबे की इस लड़ाई के बीच पार्टी यथाशीघ्र नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करना चाहेगी।