- “मुस्लिम युवक” बताकर फैलाई नफरत, आरोपी निकला हिन्दू
- नैनीताल पुलिस की जांच में सामने आई सच्चाई
हल्द्वानी। नैनीताल जिले में बीते दिनों सोशल मीडिया पर “मुस्लिम युवक द्वारा गोवंश के साथ अमानवीय कृत्य” की खबर ने सनसनी फैला दी थी। लेकिन पुलिस जांच के बाद सच्चाई कुछ और ही निकली। जिस आरोपी को “मुस्लिम युवक” बताकर नफरत फैलाई जा रही थी, वह दरअसल सुनील कुमार नामक युवक निकला, जो उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले का रहने वाला है।
बीते 2 नवंबर 2025 को मुखानी थाना क्षेत्र में गिरीश चंद पांडे पुत्र रमेश पांडे निवासी आरटीओ रोड मुखानी की और से तहरीर दी गई कि एक अज्ञात मुस्लिम युवक द्वारा मैदान में विश्राम कर रहे गोवंश के साथ अमानवीय और अप्राकृतिक कृत्य किया गया है। तहरीर के आधार पर थाना मुखानी में एफआईआर संख्या 237/25 धारा 299 बीएनएस व 11 पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल मंजुनाथ टीसी ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। एसपी हल्द्वानी मनोज कत्याल के निर्देशन में सीओ हल्द्वानी नितिन लोहनी के पर्यवेक्षण और थानाध्यक्ष मुखानी दिनेश जोशी के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई।
टीम ने घटनास्थल से लेकर दिल्ली तक के सीसीटीवी फुटेज का गहन विश्लेषण किया। फुटेज में एक संदिग्ध युवक दिखाई दिया जो घटना के समय और उसके बाद भी उसी क्षेत्र में मौजूद था। स्थानीय लोगों ने जब फुटेज देखा तो संदिग्ध युवक अपना सामान लेकर फरार हो गया।
आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी
लगातार खोजबीन, सीसीटीवी निगरानी और तकनीकी विश्लेषण के बाद पुलिस ने आरोपी का लोकेशन रुद्रपुर क्षेत्र में ट्रेस किया। 7 नवंबर 2025 को पुलिस टीम ने रुद्रपुर के किच्छा बाईपास, गंगानगर चौराहे के निकट से आरोपी को घटना के समय पहने कपड़ों और सामान सहित गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में आरोपी ने अपना नाम सुनील कुमार, पुत्र मिड़हीलाल, निवासी मिल्क मुफ्ती सईदनगर, थाना अजीम नगर, तहसील स्वार, जिला रामपुर (उत्तर प्रदेश), उम्र 24 वर्ष बताया। उसने बताया कि वह 28 अक्टूबर को मजदूरी की तलाश में हल्द्वानी आया था और मानसिक विकृति के कारण इस अमानवीय कृत्य को अंजाम दिया।
झूठी अफवाहों का पर्दाफाश
मामले में शुरुआत से ही तहरीर में “अज्ञात मुस्लिम युवक” शब्द का उल्लेख था, लेकिन जांच से पहले ही कई सोशल मीडिया यूजर्स और पेजों ने इसे सांप्रदायिक रंग दे दिया। फर्जी दावों के साथ नफरत भड़काने वाली पोस्टें वायरल की गईं। अब पुलिस की जांच ने इन सब झूठे दावों का पूरी तरह पर्दाफाश कर दिया है।
पुलिस टीम की सराहनीय भूमिका
नैनीताल पुलिस ने न केवल आरोपी को गिरफ्तार किया बल्कि सच्चाई को सामने लाकर समाज में फैल रही अफवाहों पर भी लगाम लगाई। पुलिस टीम में उप निरीक्षक वीरेंद्र चंद, उ0नि0 नरेंद्र सिंह, कॉन्स्टेबल धीरज सुगड़ा, कॉन्स्टेबल सुनील आगरी, कॉन्स्टेबल रविंद्र खाती व कॉन्स्टेबल बलवंत सिंह शामिल थे। यह मामला सिर्फ अपराध का नहीं, बल्कि समाज में फैलती पूर्वाग्रहों और अफवाहों की राजनीति का आईना है।
बिना जांच और प्रमाण के किसी समुदाय विशेष पर आरोप लगाना न केवल सामाजिक सौहार्द के खिलाफ है, बल्कि कानूनन भी दंडनीय है। नैनीताल पुलिस की पेशेवर जांच ने यह साबित कर दिया कि —“सच चाहे देर से आए, लेकिन जब आता है, तो हर झूठ को बेनकाब कर देता है।”
