बदरीनाथ धाम में कंचन गंगा के पास टूटा ग्लेशियर

बदरीनाथ धाम में कंचन गंगा के पास टूटा ग्लेशियर

चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले में बदरीनाथ धाम से बड़ी खबर सामने आया है। बदरीनाथ धाम में कंचन गंगा के पास ग्लेशियर टूटा है। ग्लेशियर टूटने का वीडियो भी सामने आया है। राहत की बात ये है कि इस घटना में किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। चमोली पुलिस ने ग्लेशियर टूटने की पुष्टि की है।

बदरीनाथ धाम से जो वीडियो सामने आया है, उसमें साफ देखा जा सकता है कि कैसे कंचन गंगा के ऊपर से ग्लेशियर टूटकर तेजी से नीचे की तरफ आ रहा है। बताया जा रहा है कि बदरीनाथ धाम से ऊपर के इलाकों में बीते दिनों काफी अच्छी बर्फबारी हुई थी। वहीं अब चटक धूप निकल रही है। चटक धूप की वजह से कई बार ग्लेशियर नीचे की तरफ फिसल जाते है और इस तरह की घटना होती है। केदारनाथ धाम के ऊपरी इलाकों में अक्सर इसी तरह की घटनाएं देखने को मिलती है।

इन दिनों उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में तेज धूप पड़ने के कारण तापमान में बढ़ोतरी देखी जा रही है। पहाड़ी क्षेत्रों में दिन के समय तेज धूप और रात में ठंड का तापमान होने के चलते ग्लेशियरों में दरारें पड़ने और बर्फ के हिस्से खिसकने की घटनाएं सामने आ रही हैं।

चमोली जिले के पुलिस अधीक्षक सर्वेश पवार ने बताया कि इस तरह की घटनाएं इस मौसम में आम तौर पर देखी जाती हैं। उन्होंने कहा कि धूप निकलने के बाद ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ का फिसलना स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसमें घबराने या अफवाह फैलाने की कोई जरूरत नहीं है। उनकी टीम ने मौके का जायजा लिया है, जिसे बाद पाया गया है कि यह एक सामान्य हिमस्खलन की घटना थी, जिससे कोई नुकसान नहीं हुआ।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह हिमालयी क्षेत्र की प्राकृतिक प्रक्रिया का हिस्सा है। प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक और ग्लेशियर विशेषज्ञ डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि हिमालय क्षेत्र में इस तरह के एवलांच आम हैं। तापमान बढ़ने पर ग्लेशियरों की सतह पर जमा बर्फ पिघलने लगती है और गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे की ओर खिसक जाती है। हालांकि यह देखना जरूरी होता है कि कहीं यह बर्फबारी वाले क्षेत्रों में बड़ा एवलांच बनकर न गिरे। क्योंकि इन इलाकों में सेना और सुरक्षाबलों के जवान ड्यूटी पर तैनात रहते हैं।

डॉ. डोभाल ने यह भी कहा कि जो वीडियो सामने आया है। वह आबादी वाले क्षेत्र से काफी दूर का है और यह घटना एक नाले के किनारे की है। ऐसे हिमस्खलन ऊंचाई वाले इलाकों में अक्सर होते रहते हैं। खासतौर पर तब जब दिन में तापमान बढ़ता है और सूरज की किरणें बर्फ पर सीधे पड़ती हैं।

बता दें कि बदरीनाथ धाम और उसके आसपास के इलाकों में इस समय मौसम साफ है, जिससे ग्लेशियरों की सतह पर मौजूद बर्फ के खिसकने की संभावना बढ़ जाती है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और मौसम विभाग या जिला प्रशासन की ओर से जारी की जाने वाली सूचनाओं पर ही भरोसा करें।

बता दें कि इसी साल 2025 में 28 फरवरी को चमोली जिले में ही बदरीनाथ धाम से आगे चीन सीमा के पास माणा में हिमस्खलन की घटना घटित हुई थी। इस हिमस्खलन में वहां काम कर रहे 54 मजदूर दब गए थे, जिममें से 46 लोगों को भारतीय सेना और आईटीबीपी  को बचा लिया था, लेकिन 8 लोगों की हिमस्खलन में दबकर मौत हो गई थी।