मदरसों की सीलिंग के खिलाफ कोर्ट जाएगी जमीअत

मदरसों की सीलिंग के खिलाफ कोर्ट जाएगी जमीअत

देहरादून। उत्तराखंड के देहरादून जिले में जिला प्रशासन की और से बिना किसी पूर्व सूचना एवं वैधानिक प्रक्रिया का पालन किए अनेक मदरसों एवं मकतबों को सील कर दिया गया। यह कार्यवाही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, संस्कृति और धर्म के अनुरूप शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने एवं संचालित करने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है।

यह बात बुधवार को जमीअत के प्रदेश महासचिव मौलाना शराफत अली कासमी ने मदरसा दार-ए-अरकम में आयोजित एक बैठक के दौरान कही।
उन्होने कहा कि जमीअत उलेमा-ए-हिंद की ओर से, इस कार्यवाही को अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षिक एवं धार्मिक अधिकारों का हनन मानते हुए इसका कड़ा विरोध करते हैं।

इस कार्रवाई के कारण कई विद्यार्थियों की शिक्षा बाधित हुई है, जिससे उनके भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही, यह धार्मिक स्वतंत्रता एवं शिक्षा के अधिकार का भी हनन है, जिसे भारतीय संविधान द्वारा संरक्षण प्राप्त है। उन्होने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिख कहा कि सील किए गए सभी मदरसों एवं मकतबों को अविलंब पुनः खोला जाए ताकि विद्यार्थियों की शिक्षा बाधित न हो।

इस मनमानी कार्यवाही की उच्च स्तरीय जाँच करवाई जाए और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाए। भविष्य में ऐसे किसी भी निर्णय से पहले संबंधित संस्थानों को कानूनी रूप से उचित नोटिस दिया जाए तथा उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर दिया जाए। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के अधिकारों की रक्षा को राज्य सरकार आवश्यक कदम उठाए ताकि संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का सम्मान हो।

आपसे आग्रह करते हैं कि इस विषय पर तत्काल संज्ञान लें और न्यायसंगत कार्यवाही सुनिश्चित करें, जिससे राज्य में संवैधानिक मूल्यों एवं सामाजिक सौहार्द की रक्षा हो सके। इसके अलावा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी पत्र लिखा गया है।

बैठक में हरिद्वार के जिला अध्यक्ष मौलना अब्दुल वहीद, प्रदेश सचिव खुर्शीद अहमद, प्रदेश मीडिया प्रभारी मौहम्मद शाह नज़र, महासचिव हाफिज आबिद, नगर अध्यक्ष मुफ्ति अयाज़ अहमद जामई, जिला कोषाध्यक्ष अब्दुल सत्तार, कारी शकील अहमद, मुफ्ति हिफजान कासमी, मौलाना रागिब, कारी आरिफ, मौलाना दाउद  आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।