हरदा का राजनीतिक भविष्य अब क्या होगा
कहा था, सीएम बनूगा या घर बैठूंगा
2019 में लोकसभा व 2017 में दो सीटों से विस चुनाव हार चुके है हरीश
मौहम्मद शाहनजर
देहरादून। ‘मुख्यमंत्री बनूगा या घर बैठ जाउंगा’ जैसा बयान देने वाले हरीश रावत लगातार चौथा चुनाव हार गये है। अब उनके सियासी सफर पर ग्रहण लग गया है। हरीश रावत की हार के बाद कई सवाल भी उठ रहें है। पार्टी के एक गुट पर पहले से ही संदेह जताया जा रहा था, कि वह कांग्रेसी मूल के भाजपाईयों के साथ मिल कर हरदा के खिलाफ चक्रव्यूह रच रहा है। जिस में हरीश रावत ही नही पूरी कांग्रेस फंस कर चकना-चूर हो गई है।
हरीश रावत ने 14 फरवरी के मतदान के बाद एक बयान दिया था, जिसने उन्होंने कहा था कि इस बार या तो वे मुख्यमंत्री बनेंगे, वरना फिर घर बैठेंगे। गुरुवार को आए चुनाव परिणाम में नैनीताल जिले की लालकुआं विधानसभा सीट से हरीश रातव करीब 14 हजार वोटों हार गये है। भाजपा के प्रत्याशी मदन सिंह बिष्ट ने हरीश रावत को हराया है। इससे पहले 2017 में हरिद्वार ग्रामीण व किच्छा से विधाननसभा व 2019 में नैनीताल-उधमसिंह नगर की लोकसभा सीट से भी चुनाव हार चुके है। मगर इस बार हरीश रावव के चुनाव जीतने ओर सीएम बनने की संभावनाए जताई जा रही थी। हरीश रावत को राजनीति सफर के जिस अंतिम पड़ाव पर लगातार चार-चार हार का सामना करना पड़ा, उससे हरदा के सियासी भविष्य पर संशय के बादल छा गये है। बता दें कि हरीश रावत ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में एक साथ दो सीटों से चुनाव लड़ा था और वे दोनों हार गए थे।
हरीश रावत एक अकेले ऐसे नेता थे, जो अभी तक उत्तराखंड की राजनीति में एक साथ दो सीटों से चुनाव लड़े थे, वो भी मुख्यमंत्री रहते हुए। इसके बाद हरीश रावत ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी नैनीताल-उधमसिंह नगर की लोकसभा सीट से अपनी किस्मत अजमाई थी, लेकिन यहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत ने नैनीताल जिले की लालकुआं विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन यहां से भी वो करीब 14 हजार वोट से हार गए। हरीश रावत की इस हार के साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है कि अब हरीश रावत का अगला कदम क्या होगा, हरीश रावत ने हाल ही में कहा था, कि 10 मार्च के बाद नई पारी की शुरूआत करेंगे।
विजय बहुगुणा की घोषणा हुई सही साबित
देहरादून। कांग्रेस की ओर से सीएम पद के दावेदार हरीश रावत को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने एक घोषणा की थी कि लालकुआं सीट हरदा के लिए राजनीतिक मौत का कुआं साबित होगी। बहुगुणा की घोषणा हरदा की हार के साथ ही सही साबित होगी। 2014 में सीएम पद से हटाए जाने के बाद 2016 में कांग्रेस से बगावत करके विजय बहुगुणा भाजपा में चले गये थे, तब से हरीश रावत व बहुगुणा में छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है। चुनाव के दौरान विजय बहुगुणा ने हरीश रावत के पहले रामनगर से टिकट मिलने और बाद में लालकुआं आने पर कहा था, कि लालकुआं सीट हरदा के लिए राजनीतिक मौत का कुआं साबित होगी। सूत्रों के मुताबिक यह भी कहा गया कि कांग्रेस में हरीश रावत विरोधी गुट व कांग्रेसी मूल के भाजपाईयों ने जो व्यूह रचना रची थी, उस में वह सफल साबित हो गई है।
हरीश रावत का राजनीतिक सफर
देहरादून। उत्तराखण्ड के सबसे वरिष्ट नेताओं में शुमार हरीश रावत का राजनीतिक सफर ग्राम सभा के स्तर से शुरू हुआ, जो आगे चलकर ट्रेड यूनियन और यूथ कांग्रेस सदस्य से होते हुए आगे बढ़ा। 1980 में हरीश रावत को पहली बार बड़ी सफलता तब हाथ लगी थी, जब हरीश रावत ने अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के बड़े नेता मुरली मनोहर जोशी को हराया। इसके बाद 1984 में उन्होंने और भी बड़े अंतर से मुरली मनोहर जोशी को शिकस्त दी। 1989 के लोकसभा चुनाव तक आते-आते उत्तराखंड आंदोलन भी बड़ा रूप लेने लगा था। इसी दौरान उन्होंने उत्तराखंड क्रांति दल के बड़े नेता काशी सिंह ऐरी को हराया और लगातार तीसरी बाद लोकसभा पहुंचे। हालांकि, इस बार जीत का अंतर कम था। इसके बाद हरीश रावत के राजनीतिक सफर में थोड़ी गिरावट आई, 1991 में उनका मत प्रतिशत और कम हुआ और वह चुनाव हार गए, इसके बाद 1996, 1998 और 1999 के चुनाव में लगातार चार बार उन्हें अल्मोड़ा सीट से हार का मुंह देखना पड़ा। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने हरिद्वार सीट से टिकट दिया और इस बार उन्हें सफलता हाथ लगी। हरीश रावत चौथी बार लोकसभा पहुंचे। फरवरी 2014 में उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 2017 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। इस दौरान उन्होंने जुलाई 2014 में उत्तराखंड की धारचुला सीट से उपचुनाव में जीत दर्ज की और उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य बने। साल 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हरीश रावत ने हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा दो सीटों से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह दोनों सीटें हार गए। मुख्यमंत्री होते हुए दोनों सीटे हार जाना हरीश रावत के लिए बड़ा झटका था, 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर अपना चुनाव क्षेत्र बदला और नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट से चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब 2022 में एक बार फिर हरीश रावत को बड़ा झटका लगा है।
लालकुआं के लोगों से क्षमा चाहता हूंः हरीश
आपका विश्वास अर्जित नहीं कर पाया
देहरादून। लालकुआं विधानसभा क्षेत्र से मेरी चुनावी पराजय हो चुकी है। मैं लालकुआं क्षेत्र के लोगों से जिनमें बिंदुखत्ता, बरेली रोड के सभी क्षेत्र सम्मिलित हैं, क्षमा चाहता हूं कि मैं उनका विश्वास अर्जित नहीं कर पाया और जो चुनावी वादे उनसे मैंने किये, उनको पूरा करने का मैंने अवसर गवा दिया है, बहुत अल्प समय में आपने मेरी तरफ स्नेह का हाथ बढ़ाने का प्रयास किया। मैं अपने आपको आपके बड़े हुए हाथ की जद में नहीं ला पाया। कांग्रेसजनों ने अथक परिश्रम कर मेरी कमजोरियों को ढकने और जनता के विश्वास को मेरे साथ जोड़ने का अथक प्रयास किया उसके लिए मैं अपने सभी कार्यकर्ता साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूंँ। एक बार राजनीति स्थिति में स्थायित्व आ जाए, लोगों का ध्यान अपने दैनिक कार्यों पर आ जाए तो मैं, लालकुआं क्षेत्र के लोगों को धन्यवाद देने के लिए उनके मध्य पहुंचूंगा। उन्होंने मुझसे श्रेष्ठ उम्मीदवार को अपना प्रतिनिधि चुना है उनको और उनके द्वारा चयनित उम्मीदवार को मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई और आगे के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।