कांग्रेस प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने को लेकर उलझन में क्यों

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अयोध्या (Ayodhya ) में इसी महीने की 22 तारीख को भगवान श्रीराम राम मंदिर ( Shri Ram Ram Temple ) की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस समारोह में शामिल होने के लिए हजारों मेहमानों को निमंत्रण दिया गया है जिनमें 3,000 वीवीआईपी ( VVIP ) मेहमानों में कांग्रेस( congress ) अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़के ( Malikarjun Khadke ) और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ( Former President Sonia Gandhi ) भी शामिल हैं। कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन ( india alliance ) में शामिल तमाम दल भाजपा के इस आयोजन में शामिल होने के नफा नुकसान पर मंथन कर रहे हैं।

सपा ( sapa ) जिसकी सरकार पर कालांतर में अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलवाने का आरोप लगाया जाता है, के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ( National President Akhilesh Yadav ) ने अयोध्या (Ayodhya ) जाने का मन बना लिया है। इंडिया में शामिल कुछ और दलों ने भी अयोध्या (Ayodhya ) के भव्य कार्यक्रम में शामिल होने का ऐलान किया है। लेकिन अयोध्या (Ayodhya ) में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा का न्योता मिलने के बाद कांग्रेस में धर्मसंकट की स्थिति है। कांग्रेस आलाकमान ( congress high command ) की तरफ से अभी तक वहां जाने के कोई संकेत नहीं मिले हैं। हालांकि, अब कांग्रेस के इंडिया अलायंस में सहयोगी दल शिवसेना (उद्धव) ने चुप्पी तोड़ी है और कांग्रेस की आत्मा को हिंदू बताया है। इसके साथ ही प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में जाने की सलाह दी है। ये सच है कि राम मंदिर आंदोलन में बीजेपी सबसे आगे रही है और विश्लेषक अयोध्या (Ayodhya ) में बन रहे राम मंदिर का श्रेय बीजेपी और आरएसएस ( rss ) को ही देते हैं। हालांकि, एक तथ्य ये भी है कि बाबरी मस्जिद ( Babri Masjid ) का ताला खुलवाए ( get the lock opened ) जाने से लेकर, राम की मूर्ति रखे जाने और बाबरी मस्जिद ( Babri Masjid ) को तोड़े जाने के समय केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार थी।

केंद्र में राजीव गांधी की सरकार के वक़्त में दरवाज़े खुले थे। साल 1986 में एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ( District Court ) के फ़ैसले के बाद बाबरी मस्जिद ( Babri Masjid ) का ताला खुलवा दिया गया था, जहां पर रामलला की मूर्ति रखी हुई थी। 2019 के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) के फ़ैसले के समय राहुल और प्रियंका गांधी ( Rahul and Priyanka Gandhi ) ने ट्वीट करके कहा था कि हर नागरिक को कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करन चाहिए और सामाजिक सौहार्द्र बनाए रखना चाहिए। अयोध्या ( Ayodhya ) में में साल 1992 में जब कार सेवा के दौरान बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना हुई थी तब भी कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ( Prime Minister Narasimha Rao ) थे। यही नहीं साल 2019 में राम मंदिर पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद सीडब्ल्यूसी ने बयान जारी कर फ़ैसले का स्वागत किया था। अगर हम सन 90 के दशक की राजनीति पर गौर करें तो साफ है कि 90 के दशक में कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में क़ानूनी तरीक़े या बातचीत के ज़रिए राम मंदिर निर्माण के लिए हामी भरी थी। इसके बावजूद भी कांग्रेस आलाकमान अभी तक समारोह में शामिल होने को लेकर पसोपेश में हैं?

जगजाहिर है कि मुस्लिम समुदाय ( Muslim community ) ने राम मंदिर विवाद ( Ram temple controversy ) पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को सहर्ष स्वीकार किया है। काबिले गौर ये है कि बाबरी मस्जिद के लिए 60 साल से भी अधिक समय तक कानूनी लड़ाई लड़ने वाले हाशिम अंसारी ( Hashim Ansari ) का परिवार भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता पा कर खुश है। उनके पुत्र इकबाल अंसारी ( Iqbal Ansari ) को बुलावा आया है और वह जाने को उत्साहित हैं। तो वहीं उत्तर प्रदेश के बरेली में तीन तलाक पीड़िताएं रामलला के लिए वस्त्र बना रही हैं ( Triple talaq victims are making clothes for Ramlala ) । तीन तलाक पीड़ित मुस्लिम महिलाएं अयोध्या ( Ayodhya ) जन्मभूमि मंदिर ( Ram temple controversy ) में विराजे रामलला के लिए पोशाक तैयार कर रही हैं। मुस्लिम महिलाएं अयोध्या ( Ayodhya ) जाकर खुद अपने हाथों से मंदिर ट्रस्ट को रामलला के ये वस्त्र सौंपेगीं। जरदोजी का काम भी तेजी के साथ चल रहा है। जब रामलला के ये वस्त्र तैयार हो जाएंगे तो ये सभी मुस्लिम महिलाएं अयोध्या (Ayodhya ) जाकर ये वस्त्र भगवान श्रीराम को समर्पित करेगीं।

बता दें कि ये सभी पीड़ित मुस्लिम महिलाएं मेरा हक फाउंडेशन ( Mera Haq Foundation ) के तहत रामलला के वस्त्र बना रही हैं। ये एनजीओ तीन तलाक से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं के लिए काम करता है। उधर मुम्बई की मुस्लिम महिला शबनम अपने साथियों के साथ पैदल अयोध्या (Ayodhya ) के लिए निकल पड़ी हैं। ये भी गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संगमरमर की आपूर्ति करने वाले मकराना के एक प्रमुख व्यवसायी मोहम्मद रमजान ( Prominent businessman Mohammad Ramzan ) खुद को इस बात के लिए सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें मंदिर के निर्माण से जुड़ने का मौका मिला।

राम मंदिर निर्माण के लिए ज्यादातर संगमरमर राजस्थान में मकराना के मुस्लिम व्यापारियों से खरीदा गया है और खदानों से संगमरमर निकालने वाली कंपनी भी मकराना के एक मुस्लिम उद्योगपति की है। इतना ही नहीं राम मंदिर के लिए नक्काशी में जुटे कारीगरों में से बहुत से मुस्लिम समुदाय से हैं। राम मंदिर ( Ram temple ) की पताका सिलने वालों में हजारीबाग के मुस्लिम दर्जी भी शामिल हैं। एक और बानगी देखिए, मुस्लिम महिला फाउंडेशन के तहत काशी की कुछ मुस्लिम महिलाएं जब अयोध्या से राम ज्योति लेकर वाराणसी के लिए चली तो रास्ते में जौनपुर और दूसरी जगह समुदाय के लोगों ने उसका स्तकबाल किया। इन सब उदाहरणों से जाहिर है कि राम मंदिर को लेकर मुसलमानों में कोई हिचकिचाहट या नाराजगी नहीं है। ये बात अलग है कि राजनीतिक दल अपने अपने तरीके से इस शुद्ध धार्मिक कार्यक्रम को राजनीतिक जामा पहनाने का प्रयास कर रहे हैं।

भाजपा ने राम का बहुत ख़ूबी से इस्तेमाल किया है, और राममंदिर ( Ram temple ) निर्माण से उसके पक्ष में उपजी सहानुभूति से कैसे निपटेंगे ये कांग्रेस के आगे चुनौती है। मंदिर के बनने से देश में हिंदूओं का बड़ा तबका ख़ुश हैं और यह बड़ी सच्चाई है। तो ऐसे में एक राष्ट्रीय पार्टी (कांग्रेस) इसको कैसे नज़र अंदाज़ कर सकती है। जबकि कांग्रेस पार्टी के भीतर ही कई बड़े नेता यहां तक कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी पिछले कई चुनावों से सॉफ्ट हिंदुत्व का शंखनाद कर रहे हैं।

यूपी चुनाव में प्रियंका माथे पर तिलक और गले में रुद्राक्ष की मोटी माला पहन कर मंदिर-मंदिर घूम रही थीं। हालिया मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने जम कर हिंदुत्व कार्ड खेला। सनातन की जमकर बात की, उसके नेता कमलनाथ ने तो हिन्दू राष्ट्र की वकालत भी की थी। वह पूरे समय अपने को एक हनुमान भक्त के रूप में पेश करते रहे। खुद को बड़ा हिंदू साबित करने के चक्कर में तो कांग्रेस नेता जन मुद्दों से ही भटक गये थे। हिंदुत्व के खिलाफ कांग्रेस की राजनीति मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव में ऐसी रही है जिससे लगता है कि कांग्रेस हिंदुत्व से लड़ नहीं रही बल्कि यह साबित करने की कोशिश में है कि दरअसल हिंदुत्व की असली वाहक तो वह है। अब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भगवान राम में अपनी अटूट आस्था जताई है। सुक्खू का कहना है, भगवान राम हमारी आस्था का मूल और आदर्श हैं। ये बात अलग है कि जनता को कांग्रेस के हिंदुत्व से कहीं ज्यादा बीजेपी के राम मंदिर का मुद्दा भा गया और परिणाम भाजपा के पक्ष में चले गए। कांग्रेस को इस मुद्दे पर दोराहे की राजनीति छोड़ कर अपना स्पष्ट रूख रखना चाहिए। राजनीतिक तकाज़ा है कि कांग्रेस को जनभावनाओं का ख्याल रखना चाहिए।

शाहिद नकवी

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