उत्तराखण्ड कांग्रेसः नेता प्रतिपक्ष-प्रदेश अध्यक्ष का इंतजार जारी

उत्तराखण्ड कांग्रेसः नेता प्रतिपक्ष-प्रदेश अध्यक्ष का इंतजार जारी
नेता प्रतिपक्ष के लिये प्रीतम, यशपाल, भंडारी, तिवारी व ममता के नामों की चर्चा
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भुवन कापड़ी, मनोज तिवारी के नाम चर्चा में है


देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2022 में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस में हार पर रार जारी है। चुनाव नतीजे आये हुए 25 दिन से अधिक का समय बीत गया, विधानसभा का एक सत्र भी आहुत हो गया, मगर कांग्रेस हाईकमान नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर किसी की तैनाती नहीं कर पाया है। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस हाईकमान ने गोआ और मणिपुर में अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष समेत सभी महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां कर दी हैं। उत्तराखंड और पंजाब में पार्टी हाईकमान अभी तक कोई फैसला नही ले पाया है।
उत्तराखण्ड प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव जल्द नियुक्ति होने के संकेत दे रहेे हैं।


पांचवी विधानसभा के लिए चुनकर आए विधायकों के शपथ ग्रहण के साथ ही 21 मार्च से नेता प्रतिपक्ष का पद स्वतः रिक्त हो गया था। जबकि विधानसभा में चुनाव में हार की वजह से हाईकमान ने 15 मार्च को प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से इस्तीफा ले लिया था। सूत्रों के अनुसार नेता प्रतिपक्ष पद के लिए इस वक्त निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य, राजेंद्र भंडारी, मनोज तिवारी, ममता राकेश के नाम चर्चा में हैं।


सूत्रों का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष पद के लिए खुलकर दावेदारी करने वाले धारचूला विधायक हरीश धामी को विधायक दल का उपनेता बनाया जा सकता है। जबकि प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भुवन कापड़ी, मनोज तिवारी के नाम चर्चा में है। हालांकि कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल को ही रिपीट किए जाने के हक में है। प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पर हो रही देरी से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सब्र भी छलकने लगा है। 15 दिन से ज्यादा समय से कांग्रेस जिस प्रकार नेतृत्वविहीन स्थिति में है, उससे कार्यकर्ताओं का मनोबल भी टूट रहा है। सदस्यता अभियान प्रभारी राजेंद्र सिंह भंडारी ने आज सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया। कहा कि हाईकमान से जल्द अध्यक्ष का फैसला करें और अफवाहों पर विराम लगाए। भंडारी ने पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल की पैरवी भी की। कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए गोदियाल अकेले जिम्मेदार नहीं हैं। यदि सामूहिक चुनाव लड़ा गया तो बाकी नेताओं पर भी कार्यवाही होनी चाहिए। भंडारी ने आगे कहा कि, लोग मज़ाक उड़ा रहे है कि कांग्रेस की विडंबना देखिए, बजट सत्र निबट गया और कांग्रेस अपना नेता प्रतिपक्ष तक नहीं बना पाई। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस किये नेता प्रतिपक्ष व प्रदेश
अध्यक्ष चुनती है।

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