सीबीआई जांच से कम मंजूर नहीः कापड़ी

  • राजू-बडोनी पर क्यो नही हो रही कार्रवाईः कांग्रेस
  • व्यापमं से भी बड़ा घोटाला है पेपर लीक मामलाः माहरा
  • सीबीआई जांच से कम मंजूर नहीः कापड़ी
  • हाकम के साथ इंज्वॉय करने वालों पर कब हाथ डालेगी एसटीएफ
  • चयन आयोग की सभी भर्तियों की सीबीआई जांच कराई जाए


देहरादून।
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग में सभी भर्ती परीक्षाओं में पेपर छपते समय लीक होने की बात लगातार सामने आ रही है इससे यह प्रतीत होता है कि आयोग के जिम्मेदार लोग आयोग के अध्यक्ष और आयोग के सचिव अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वाह नहीं कर रहे थे, क्योंकि पेपर की छपने की गोपनीयता व सुरक्षा की पूर्ण जिम्मेदारी अध्यक्ष और सचिव की थी उन पर तत्काल प्रभाव से लापरवाही करने के लिए पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए। यह बात सोमवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा व उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने राजीव भवन मे आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कही। माहरा व कापड़ी ने यूकेएसएससी पेपर लीक मामला की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने प्रदेश में हुए यूकेएसएससी पेपर लीक मामले को मध्य प्रदेश में हुए व्यापमं घोटाले से भी बड़ा घोटाला बताया है। इसके साथ ही उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने पेपर लीक मामले में यूकेएसएससी के पूर्व अध्यक्ष एस राजू और सचिव संतोष बडोनी के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है।

उन्होने कहा कि पूरे प्रदेश में परीक्षा कराने वाली एजेंसी की भूमिका भी हर परीक्षा में संदिग्ध है, क्योंकि इस कंपनी पर उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में राज्य सरकारों की परीक्षाओं में गड़बड़ी करने के कारण प्रतिबंध लगाया गया है और ब्लैक लिस्टेड किया गया था और उत्तर प्रदेश के थाने में उक्त कंपनी पर अभियोग पंजीकृत है। ऐसी एजेंसी से उत्तराखंड में परीक्षाएं कराने पर भी ज़िम्मेदार लोगों पर एसटीएफ को अभियोग दर्ज करना चाहिए। सोशल मीडिया पर लगातार जिसको राज्य सरकार की ओर से एसटीएफ द्वारा भर्ती का मुख्य सरगना बताया जा रहा है उस हाकम सिंह के साथ राज्य के पुलिस के बड़े-बड़े अधिकारियों के, कहीं प्रशासन के अधिकारियों के और भाजपा के मंत्री-नेताओं के फोटो रोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिससे प्रदेश के युवाओं का मनोबल निरंतर गिर रहा है। क्योंकि एसटीएफ राज्य सरकार के अधीन काम करने वाली संस्था है उसके अधिकार भी राज्य में सीमित है तो आप समझ सकते हैं कि आगे एसटीएफ की जांच किस प्रकार चलेगी। राज्य की एजेंसी होने के कारण उनकी जांच को प्रभावित किया जा सकता है।

अब पेपर लीक का मामला उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड 2 राज्यों से जुड़ चुका है, लगातार उत्तर प्रदेश से गिरफ्तारियां हो रही है ऐसे में एसटीएफ का दूसरे राज्य में जांच करना संभव नहीं होगा। हम राज्य सरकार से मांग करते हैं कि अगर वह उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य के लिए चिंतित है तो चयन आयोग की सभी भर्तियों की सीबीआई जांच कराई जाए। दोषियों की संपत्तियां जो की भर्ती गड़बड़ी से अर्जित की गई है उनको जब्त किया जाए ओर मुख्य अपराधियों पर रासुका लगा कर प्रदेश में युवाओं के सामने एक नजीर पेश की जाए, जिससे कि भविष्य में कोई भी उत्तराखंड के युवाओं के रोजगार पर डाका ना डाल सके।

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