डॉ महेश ने मिनिमल इनवेसिव स्पाइन सर्जरी का वर्ल्ड वाइड माइक्रो रिट्रेटर सिस्टम इजाद किया

  • डॉ महेश ने मिनिमल इनवेसिव स्पाइन सर्जरी का वर्ल्ड वाइड माइक्रो रिट्रेटर सिस्टम इजाद किया
  • ‘रमोला रबर बैंड तकनीक ‘शोध वर्ल्ड न्यूरो सर्जरी जनरल में प्रकाशित
  • न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष सहित देश-विदेश के न्यूरो सर्जनों की ओर से बधाई देने का लगा तांता
  • प्राग, चेक गणराज्य की राजधानी में न्यूरो सर्जन को डेमेंस्ट्रेशन देने के लिए डॉ महेश रमोला को किया आमंत्रित


देहरादून।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के तहत संचालित महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ महेश रमोला ( Dr. Mahesh invents world wide micro retractor system for minimally invasive spine surgery) व उनकी टीम डॉ. अमूल्य अग्रवाल, डॉ. रितु सिंह ने रमोला रबर बैंड तकनीक का नया मॉडल इजाद किया है। यह मॉडल मिनिमल इनवेसिव न्यूरो सर्जरी के लिए विश्व का सबसे किफायती माइक्रो रिट्रेटर सिस्टम है। डॉ. महेश रमोला की खोज को वर्ल्ड न्यूरो सर्जरी जनरल (World Neuro Surgery General) में प्रकाशित किया गया है। ‘वर्ल्ड न्यूरो सर्जरी’ जनरल न्यूरो सर्जरी के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल जनरल में से एक है।


वर्ल्ड न्यूरो सर्जरी जनरल वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोसर्जिकल सोसाइटीज की आधिकारिक पत्रिका है। यह विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी प्रकाशक एल्स्वियर द्वारा प्रकाशित की जाती है। डब्ल्यूएफएनएस की 130 सदस्यीय समितियों से बने सभी 5 महाद्वीपों में उपस्थिति है, जिसमें 5 महाद्वीपीय संघ, 6 संबद्ध समितियाँ और 119 राष्ट्रीय न्यूरोसर्जिकल सोसायटी शामिल हैं, जो दुनिया भर में लगभग 50,000 न्यूरोसर्जन का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसे संयुक्त राष्ट्र में सलाहकार का दर्जा प्राप्त है। वर्ल्ड न्यूरो सर्जरी जनरल के वैश्विक लेखक और पाठक हैं। इसका प्राथमिक उद्देश्य रचनात्मकता की उत्तेजना, नए ज्ञान के निर्माण और दुनिया भर में गुणवत्ता वाले न्यूरोसर्जिकल
देखभाल में वृद्धि के लिए प्राथमिक बौद्धिक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना है।


डॉ. महेश रमोला के इस शोध पर देश-विदेश के न्यूरोसर्जन व स्पाइन के विशेषज्ञों की बधाई का तातां लगा हुआ है। काबिलेगौर है कि इस जर्नल में दुनिया भर के मेडिकल विशेषज्ञों न्यूरो सर्जरी से जुड़े अति विशिष्ट न्यूरो सर्जरी विषयों पर शोध कार्यों को प्रकाशित किया जाता है। डॉ. महेश रमोला के ‘रमोला रबर बैंड तकनीक‘ नाम के शोध की कामयाबी पर श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज व न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष डॉ. वाईआर यादव ने डॉ. महेश रमोला को विशेष रूप से बधाई दी। डॉ महेश रमोला 13 वर्षों से इस तकनीक पर काम कर रहे हैं। ‘रमोला रबर बैंड तकनीक‘ पर अन्तर्राष्ट्रीय मुहर लगने के बाद अब बिना महंगे रिट्रैक्टर सिस्टम के माइक्रो डिस्ट्रैक्टमी सर्जरी कर पाना देश और दुनिया के न्यूरो और स्पाइन सर्जन के लिए आसान हो गया है।


काबिलेगौर है कि का लम्बर डिस्क सर्जरी दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे अधिक की जाने वाली स्पाइन सर्जरी में से एक है। डिस्क स्लिप के कारण हुए कमर और पैरों के दर्द (सियाटिका) में इसकी सफलता दर 95 प्रतिशत से भी अधिक है। लम्बर डिस्क सर्जरी का इतिहास 100 वर्षों से भी अधिक है। मेडिकल विशेषज्ञ अब तक यह मानते आ रहे थे कि इस विषय पर दशकों से बहुत काम हो चुका है। इसलिए यह धारण बन गई थी कि माइक्रो रिट्रैक्टर सिस्टम पर अरिजिनल और अभिनव मेडिकल शोध की कोई सम्भावना नहीं है। डॉ महेश रमोला ने इस मिथक को तोड़ा, उन्होंने ‘रमोला रबर बैंड तकनीक‘ को इजाद कर न्यूरो व स्पाइन सर्जनों के लिए माइक्रोलंबर डिसैक्टमी स्पाइन रिट्रैक्टर उपकरण का सबसे किफायती विकल्प देकर सभी को चकित कर दिया है।


दुनिया भर में माइक्रो लम्बर डिस्क सर्जरी के लिए रिट्रेक्टर सिस्टम उपयोग किए जाते है। ज़्यादातर सिस्टम में इस्तमाल के साथ साथ वियर टियर की समस्या आती रहती है और पुराने हो जाने पर समुचित, प्रभावी कार्य नहीं कर पाते। इसलिए एक निश्चित समय बाद नया सिस्टम लेना पड़ता है। सिस्टम में ख़राबी या टूट फूट होने पर बदलना भी पड़ता है। अलग अलग मरीज़ों के शरीर के हिसाब से अलग अलग साइज़ के सिस्टम बनाने की ज़रूरत पड़ती है,। ज़्यादातर सिस्टम स्टील के बने होते हैं जिससे ऑपरेशन थियेटर के लाइट की रोशनी रेफ़्लेक्ट होती है जो ऑपरेटिंग सर्जन की आँखों को चुंधिया कर ब्लाइंड भी कर सकती है, जिससे ऑपरेशन में जटिलता की सम्भावनाए भी बढ़ जाती हैं। इससे बचने के लिए अच्छे निर्माता अपने स्पाइन रिट्रैक्टर सिस्टम में स्पेशल ब्लैक कोटिंग करते हैं, ताकि ऑपरेशन के दौरान माइक्रोस्कोप या ओ.टी. लाइन रिफलेक्ट न हो, परन्तु इससे सिस्टम की लागत मूल्य और सर्जरी का खर्च भी बढ़ता है।

उदाहरण के लिए डिस्क सर्जरी के उपयोग में होने वाले विभिन्न देशों में प्रचलित कैस्पर ऐस्कूलप माइक्रोलंबर डिसैक्टमी उपकरण की कीमत करीब 31 लाख रुपये है। वर्तमान में अनेक विकसित और विकासशील देश व दुनिया के अनेकों न्यूरो स्पाइन सर्जन इसी उपकरण का इस्तेमाल कर लम्बर डिस्ट्रैक्टमी सर्जरी करते आ रहे हैं। क्या है रमोला रबर बैंड तकनीक का मॉडल ? परंपरिक माइक्रो लम्बर डिस्क सर्जरी (सियाटिका सर्जरी) को करने के लिए सर्जन माइक्रोलंबर डिसैक्टमी रिट्रैक्टर उपकरण का इस्तेमाल करते हैं। ऑपरेशन के दौरान इस उपकरण से मरीज़ की मांसपेशियों से रास्ता बनकार सर्जन स्पाइन तक पहुंचते हैं व ऑपरेशन करते हैं। डॉ महेश रमोला ने ‘रमोला रबर बैंड तकनीक‘ में सामान्य रबर बैंड को माइक्रोलंबर डिसैक्टमी रिट्रैक्टर के विकल्प रूप में इजाद किया है।

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