बहुगुणा ने सौरभ को दिलाई सियासी ‘विजय’

बहुगुणा ने सौरभ को दिलाई सियासी ‘विजय’
सौरभ के कंधों पर आई विरासत को सजोने की जिम्मेदारी
दादा यूपी तो पिता उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं

कांग्रेस से सियासी सफर का किया था आगाज, अब भाजपा में संभाल रहे दायित्व
बुआ अभी भाजपा सांसद, चाचा भी रह चुके लोकसभा सदस्य


मौहम्मद शाहनजर
देहरादून।
देश भर में कुछ सियासी घराने सत्ता के शिखर पर दशकों से बने हुए हैं, ऐसा ही एक घराना है, बहुगुणा परिवार। इस परिवार की तीन पीढ़िया राजनीति में अपना मुकाम बना चुकी है। उत्तराखण्ड की पांचवी विधानसभा का गठन हुआ तो युवा मुख्यमंत्री के साथ बहुगुणा खानदान की विरासत संभालने का जिम्मा युवा नेता सौरभ बहुगुणा के कांधों पर आ गया।
उत्तराखंड की धामी सरकार में मंत्री बने सौरभ बहुगुणा के दादा उत्तर प्रदेश और पिता उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रह चुके है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की तीसरी पीढ़ी में भी मंत्री बनने का सिलसिला जारी है। उत्तराखंड में उनके पौत्र सौरभ बहुगुणा ने मंत्री पद की शपथ ली है।
देवभूमि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट में एक नया चेहरा शामिल हुआ है। ये चेहरा है सौरभ बहुगुणा का। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सियासत में बहुगुणा परिवार का काफी दबदबा रहा है। सौरभ के दादा हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तर प्रदेश और पिता विजय बहुगुणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके है। सौरभ की बुआ यानी हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी डॉ. रीता बहुगुणा जोशी भी उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा चेहरा हैं। रीता जोशी यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। इसके बाद योगी सरकार में मंत्री भी रहीं। अब वह प्रयागराज से भाजपा की सांसद हैं।

हेमवती नंदन बहुगुणा, विजय बहुगुणा व रीता बहुगुणा जोशी
देहरादून। 43 साल के सौरभ बहुगुणा के दादा हेमवती नंदन बहुगुणा कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे। यही कारण है कि 1973 में जब उत्तर प्रदेश से राष्ट्रपति शासन हटाया गया तो कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। हेमवती दो साल 21 दिन तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे। तब उत्तराखंड भी यूपी का ही हिस्सा हुआ करता था। यही नहीं, हेमवती नंदन बहुगुणा को चौधरी चरण सिंह की सरकार में वित्त मंत्री भी बनाया गया था। उनका जन्म भी उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था।
हेमवती के तीन बच्चे हुए। विजय बहुगुणा, शेखर बहुगुणा और रीता बहुगुणा। सभी ने कांग्रेस से ही राजनीति की शुरुआत की और बाद में एक-एक करके भाजपा में आ गए। शादी के बाद रीता जोशी यूपी की राजनीति में सक्रिय हो गईं, वहीं विजय उत्तराखंड में पिता की राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाते रहे। विजय मार्च 2012 से जनवरी 2014 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। जबकि, शेखर बहुगुणा भी कांग्रेस के टिकट पर फूलपुर से चुनाव लड़ चुके हैं। 2016 में कांग्रेस से बगावत करके विजय बहुगुणा 10 विधायकों सहित भाजपा में शामिल हो गये थे, उसके कुछ दिन बाद ही रीता बहुगुणा जोशी ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। विजय के बेटे सौरभ बहुगुणा ने 2017 में पहली बार सितारगंज से चुनाव जीता। इस बार भी वह सितारगंज से विधायक चुने गए और अब उन्हें उत्तराखण्ड में मंत्री का पद भी मिल गया।

7.83 करोड़ के मालिक, मध्य प्रदेश से की पढ़ाई
देहरादून।
सौरभ बहुगुणा के पास कुल 7.83 करोड़ रुपये की संपत्ति है। इसमें 3.73 करोड़ रुपये की चल और 4.12 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है। सौरभ ने मध्य प्रदेश के एपीएस यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की है।

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