आज़म खान, बेटे व पत्नी को सात साल की सजा

रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई

रामपुर। उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान (Azam Khan)और उनकी बीवी डॉ. तजीन फात्मा (Tanzeem Fatima) और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam) को रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट (Rampur MP-MLA Court) ने सात साल की सजा सुनाई है। तीनों कोर्ट से सीधा आज ही जेल जाएंगे। मामला अब्दुल्ला आजम खान (Abdullah Azam Khan) के दो फर्जी जन्म प्रमाण पत्र से जुड़ा मामला है।

भारतीय जनता पार्टी नेता आकाश सक्सेना ने साल 2019 में ये केस दर्ज करवाया था। सरकारी वकील अरुण कुमार ने कहा कि अब्दुल्ला आजम खान (Abdullah Azam Khan) के दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में तीनों को सजा सुनाई गई है।

गंज थाने में अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam) के खिलाफ केस दर्ज करवाया गया था। इस मामले आजम खान (Azam Khan) , उनकी पत्नी और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान (Abdullah Azam Khan) को मुलजिम बनाया गया था।

उन्होंने बताया कि इस मामले में अब्दुल्ला आजम खान (Abdullah Azam Khan) पर इल्ज़ाम है कि उनके पास दो जन्म प्रमाण पत्र हैं, जिनमें से एक जन्म प्रमाण पत्र जनवरी 2015 में लखनऊ नगर पालिका से बनवाया गया है और दूसरा रामपुर का है, जो 28 जून 2012 को रामपुर नगर पालिका (Rampur Municipality) से बना है। उनपर इन जन्म प्रमाण पत्रों का वक्त वक्त पर अपनी सलूहियत के मुताबिक इस्तेमाल किए जाने का इल्ज़ाम लगा था।

अब्दुल्ला आजम खान (Abdullah Azam Khan) पर पहले जन्म प्रमाण पत्र की बुनियाद पर पासपोर्ट हासिल करने और विदेशी दौरे करने और दूसरे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल सरकार से जुड़े मक़सदों के लिए करने का आरोप हैं दोनों प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से और पूर्व नियोजित साजिश के तहत जारी किये गये थे। भारतीय जनता पार्टी (BJP) लीडर की शिकायत पर तीनों पर केस दर्ज किया गया था।


यह केस 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से जुड़ा है, तब अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से सपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था, इस चुनाव में उनकी जीत भी हुई थी, मगर चुनावी नतीजों के बाद उनके विरोधी प्रत्याशी नवाब काजिम अली हाईकोर्ट पहुंच गए थे, काजिम ने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला आजम ने चुनावी फार्म में जो उम्र बताई है, असल में उनकी उम्र उतनी नहीं।

स्वार सीट का चुनाव किया गया था रद्द
काजिम ने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला विधायक का चुनाव लड़ने की उम्र का पैमाना पूरा नहीं करते हैं, शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला का डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 है, जबकि जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर उनका जन्म 30 सितंबर 1990 को बताया गया है। यह मामला हाईकोर्ट पहुंचने के बाद इस पर सुनवाई शुरू हुई थी और अब्दुल्ला की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था, इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था।

दो प्रमाण पत्र, दोनों में अलग-अलग जन्म स्थान
बता दें कि अब्दुल्ला पर पहले जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने और विदेशी दौरा करने के साथ ही सरकारी उद्देश्य के लिए दूसरे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने का भी आरोप है। इसके अलावा उन पर जौहर विश्वविद्यालय के लिए भी इसका उपयोग करने का आरोप है। दरअसल, आरोप के मुताबिक अब्दुल्ला आजम के पास दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र हैं। एक 28 जून 2012 को रामपुर नगर पालिका ने जारी किया गया है, जिसमें रामपुर को अब्दुल्ला के जन्मस्थान के रूप में दिखाया गया है, वहीं दूसरा जन्म प्रमाण पत्र जनवरी 2015 में जारी किया गया है, जिसमें लखनऊ को उनका जन्म स्थान दिखाया गया है।

दो दिन पहले ही इस मामले में लगा था एक झटका
दो दिन पहले ही 16 अक्टूबर को इस मामले में आजम फैमिली को बड़ा झटका लगा था। मामले में बचाव पक्ष की बहस के लिए और अधिक समय मांगते हुए जिला जज की अदालत में रिवीजन दाखिल किया गया था, जिसे न्यायालय ने रामपुर के एमपी-एमएलए विशेष अदालत एडीजे फर्स्ट कोर्ट को सुनवाई के लिए भेजा था, कोर्ट ने इस रिवीजन को निरस्त कर दिया था।

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